scriptस्वच्छता: दावा टॉप आने का, हालात ऐसे कि और गिर सकती है रैंकिंग | cleanliness: claim to come top, situation may fall further such that r | Patrika News

स्वच्छता: दावा टॉप आने का, हालात ऐसे कि और गिर सकती है रैंकिंग

locationग्वालियरPublished: Sep 10, 2019 06:27:13 pm

Submitted by:

Rahul rai

ईको ग्रीन कंपनी भी वार्डों की संख्या नहीं बढ़ा रही है, वह सिर्फ 42 वार्डों में ही कचरा संग्रहण कर रही है। यही हाल रहा तो स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 पर इसका असर दिखाई देगा। शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है।
 

स्वच्छता: दावा टॉप आने का, हालात ऐसे कि और गिर सकती है रैंकिंग

स्वच्छता: दावा टॉप आने का, हालात ऐसे कि और गिर सकती है रैंकिंग

ग्वालियर। शहर की सफाई व्यवस्था पटरी पर आने के बजाए बिगड़ रही है। कई क्षेत्रों में घरों से कचरा लेने के लिए वाहन नहीं जा रहे हैं, जिसके कारण लोग मजबूरी में यहां-वहां कचरा फेंक रहे हैं। ईको ग्रीन कंपनी भी वार्डों की संख्या नहीं बढ़ा रही है, वह सिर्फ 42 वार्डों में ही कचरा संग्रहण कर रही है। यही हाल रहा तो स्वच्छता सर्वेक्षण-2020 पर इसका असर दिखाई देगा। शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है।
कॉलोनियों में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं और अधिकारी शहर को स्वच्छता सर्वेक्षण में टॉप पर लाने का दावा कर रहे हैं। घर-घर से कचरा संग्रहण के लिए ईको ग्रीन कंपनी को ठेका दिया गया है, लेकिन कंपनी द्वारा सिर्फ 42 वार्डों में ही कचरा कलेक्शन किया जा रहा है, जबकि शहर में 66 वार्ड हैं। बाकी वार्डों में नगर निगम को कचरा कलेक्शन करना है। ईको ग्रीन सही ढंग से सफाई नहीं कर रही है, वहीं जिन वार्डों में निगम द्वारा सफाई कार्य किया जा रहा है वहां के हालात भी खराब हैं। निगम अधिकारी भी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। शहर में अधिकांश क्षेत्रों में आए दिन गाड़ी नहीं पहुंचती है। कुंज विहार में दो दिन से गाड़ी नहीं आई है, वहीं कई बार गाड़ी बिना हॉर्न बजाए ही चली जाती है, जिससे लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है।
हेल्पर नहीं करता मदद
घरों से कचरा कलेक्शन के लिए जो टिपर जाते हैं, उसमें दो लोगों का स्टाफ रहता है। चालक के साथ एक हेल्पर रहता है। हेल्पर को कचरा डालने में लोगों की मदद करना है, अगर कोई कचरा जमीन पर या यहां वहां पड़ा है तो उसे उठाकर गाड़ी में डालना होता है, लेकिन हेल्पर गाड़ी में ही बैठा रहता है। इसको लेकर कई बार लोगों ने शिकायत की, यहां तक कि पार्षदों ने भी इसे पर परिषद में हंगामा किया, इसके बावजूद हालात नहीं बदले।
कंपनी ने दिए हैं दो ऑफर
कंपनी घरों से कचरा कलेक्शन में अब रुचि नहीं ले रही है। दरअसल, कंपनी को पॉवर जनरेशन की अनुमति शासन से नहीं मिली है। शुरुआत में शासन ने कंपनी से कचरे से पॉवर जनरेशन कर प्रति यूनिट 6.33 रुपए में खरीदने की बात कही थी, लेकिन अब शासन इसे मान नहीं रहा है। इसलिए कंपनी द्वारा आगे इनवेस्ट नहीं किया जा रहा है। कंपनी ने शासन को दो ऑफर दिए हैं, जिसके तहत या तो बिजली उत्पादन की अनुमति देकर उसे उसी रेट में खरीदा जाए या फिर कचरा कलेक्शन के प्रतिशत के अनुसार उसका पेमेंट किया जाए। अब शासन को इस पर निर्णय लेना है। कंपनी ने इनमें से ही किसी एक पर आगे काम करने की बात कही है।
शासन को निर्णय लेना है
शासन स्तर पर कंपनी को पॉवर जनरेशन की अनुमति और तय रेट पर बिजली खरीदने को लेकर निर्णय होना है। अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है, जैसे ही निर्णय होगा तय हो जाएगा कि कंपनी काम करेगी या नहीं।
संदीप माकिन, निगमायुक्त

ट्रेंडिंग वीडियो