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18 माह बाद भी कैशलेस नहीं हो पाई कलेक्ट्रेट

locationग्वालियरPublished: Jul 04, 2018 07:09:20 pm

Submitted by:

monu sahu

नोटबंदी के बाद सभी सरकारी कार्यालयों सहित सार्वजनिक जगहों पर लेनदेन को कैशलेस करने के लिए शुरू की गई व्यवस्था दिखाई देना बंद हो गई है

gwalior Collectorate

18 माह बाद भी कैशलेस नहीं हो पाई कलेक्ट्रेट

ग्वालियर . नोटबंदी के बाद सभी सरकारी कार्यालयों सहित सार्वजनिक जगहों पर लेनदेन को कैशलेस करने के लिए शुरू की गई व्यवस्था दिखाई देना बंद हो गई है। 18 माह पहले हुए तकनीकी प्रशिक्षण में कलेक्ट्रेट के साथ ही सभी कार्यालयों को कैशलेस पर जोर देने की बात कही गई थी। तत्कालीन कलेक्टर ने भी सभी अधिकारियों को कैशलेस व्यवस्था लागू न करने पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके अलावा स्टेट बैंक अधिकारियों ने डबरा को कैशलेस करने में सहयोग करने की बात कही थी, लेकिन स्थिति यह है कि कैशलेस की व्यवस्था तो दूर की बात है, बैंक अपने एटीएम तक सही नहीं करवा पा रही है।
इसी तरह ग्वालियर कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत सहित अन्य बड़े कार्यालयों को कैशलेस करने की मुहिम शुरू की गई थी, लेकिन इन सभी कार्यालयों में से कहीं भी कैशलेस की व्यवस्था नजर नहीं आती। इसके अलावा निजी दुकानदार भी 2 प्रतिशत शुल्क लगने के कारण ग्राहकों को कैशलेस की बजाय नकद भुगतान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यही हाल सरकारी कार्यालयों का है, बंदूक लाइसेंस का चालान हो या फिर माइनिंग विभाग में जमा होने वाला शुल्क हो या फिर कोई और शुल्क हो, सभी को चालान बनवाने के लिए मोतीमहल स्थित बैंक तक जाना पड़ता है।
हो चुके हैं प्रशिक्षण
कैशलेस के लिए अभी तक एक दर्जन से अधिक तकनीकी प्रशिक्षण हो चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण 6 दिसंबर 2016 को हुआ था। इसमें सूचना विज्ञान अधिकारी संजय पांडेय ने डिजिटल भुगतान को लेकर तकनीकी प्रशिक्षण दिया था, इसके बावजूद किसी कार्यालय ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में रुचि नहीं ली है। इससे शुल्क जमा कराने के लिए आम जन को बाबुओं की मनमानी का शिकार होना पड़ता है।
इस तरह होना थे भुगतान
डिजिटल भुगतान के प्रजेंटेशन में अधिकारियों को बताया गया था कि इ-भुगतान के लिए बैंक कार्ड, पीओएस, यूएसएसडी आधारित मोबाइल बैंकिंग, इ-बटुआ, आधार भ्गतान प्रणाली, माइक्रो एटीएम से लेनदेन, यूपीआइ आदि के जरिए भुगतान करने के बारे में सिखाया गया था। यह सब प्रशिक्षण किसी भी काम के साबित नहीं हुए हैं।
यह दिए गए थे निर्देश
कलेक्टर ने लीड बैंक मैनेजर को निर्देश दिए थे कि कै शलैस को बढ़ावा देने के लिए शहर और गांव में विशेष अभियान चलाए जाएं। ज्यादातर अभियान सिर्फ दिखावे के लिए चलाए गए।
नवंबर 2017 तक डबरा को पूरी तरह कै शलेस करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने सहयोग की हामी भरी थी, अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है।
किसी भी कार्यालय में पीओएस मशीन दिखाई नहीं देती है।
समाधान एक दिवस और रेडक्रॉस से संबंधित भुगतान पीओएस के माध्यम से करने के निर्देश दिए गए थे। अभी भी यह भुगतान बैंक में नकद जमा कराकर चालान के जरिए ही हो रहे हैं।
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