कैशलेस के लिए अभी तक एक दर्जन से अधिक तकनीकी प्रशिक्षण हो चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण 6 दिसंबर 2016 को हुआ था। इसमें सूचना विज्ञान अधिकारी संजय पांडेय ने डिजिटल भुगतान को लेकर तकनीकी प्रशिक्षण दिया था, इसके बावजूद किसी कार्यालय ने केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने में रुचि नहीं ली है। इससे शुल्क जमा कराने के लिए आम जन को बाबुओं की मनमानी का शिकार होना पड़ता है।
डिजिटल भुगतान के प्रजेंटेशन में अधिकारियों को बताया गया था कि इ-भुगतान के लिए बैंक कार्ड, पीओएस, यूएसएसडी आधारित मोबाइल बैंकिंग, इ-बटुआ, आधार भ्गतान प्रणाली, माइक्रो एटीएम से लेनदेन, यूपीआइ आदि के जरिए भुगतान करने के बारे में सिखाया गया था। यह सब प्रशिक्षण किसी भी काम के साबित नहीं हुए हैं।
कलेक्टर ने लीड बैंक मैनेजर को निर्देश दिए थे कि कै शलैस को बढ़ावा देने के लिए शहर और गांव में विशेष अभियान चलाए जाएं। ज्यादातर अभियान सिर्फ दिखावे के लिए चलाए गए।
नवंबर 2017 तक डबरा को पूरी तरह कै शलेस करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने सहयोग की हामी भरी थी, अभी तक कोई व्यवस्था नहीं हुई है।
किसी भी कार्यालय में पीओएस मशीन दिखाई नहीं देती है।
समाधान एक दिवस और रेडक्रॉस से संबंधित भुगतान पीओएस के माध्यम से करने के निर्देश दिए गए थे। अभी भी यह भुगतान बैंक में नकद जमा कराकर चालान के जरिए ही हो रहे हैं।