दरअसल, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर दायर हुई याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 दिसंबर को हाईकोर्ट की युगल पीठ ने जिला प्रशासन को 17 दिसंबर तक कंप्लायंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिया था। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन करने के लिए प्रशासन ने कार्रवाई की थी। लेकिन क्षेत्रीय विधायक मुन्नालाल गोयल सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं ने कार्रवाई के खिलाफ धरना दिया था। नेताओं का कहना था कि इस मामले में पुनर्विचार के लिए याचिका प्रस्तुत की गई है, इसकी सुनवाई से पहले तुड़ाई न की जाए।
इसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर शासन द्वारा कब्जा करके रहने वालों की जांच की गई तो पता चला कि वन भूमि पर रहने वाले लोग पट्टे के हकदार नहीं हैं। इनमें से अधिकतर के पास दूसरी जगहों पर पहले से ही मकान हैं। इसी तरह से कैंसर पहाड़ी सहित अन्य पहाडिय़ोंं पर भी अवैध कब्जे हैं। इस पूरी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वन भूमि को खाली कराने के साथ ही प्रशासन यह भी तय करे कि यहां दोबारा से अतिक्रमण न हो। इस जगह को अतिक्रमण मुक्त करने के बाद यदि कोई बेहतर प्लान नहीं है तो पौधारोपण किया जाए।
दोबारा से हो गए हैं निर्माण
प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व में कार्रवाई करके निर्माण ढहा दिए थे, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक अनदेखी के कारण लोगों ने दोबारा से निर्माण कर लिए हैं। जगह को घेरने के लिए की गई तारफेंसिंग को भी हटा दिया गया है।
प्रशासन कर रहा तुड़ाई की तैयारी
सिरोल पहाड़ी सहित अन्य शासकीय और वन विभाग के अंतर्गत आने वाली पहाडिय़ों पर अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन तैयारी में लग गया है। सोमवार को इस कार्रवाई से पहले पुलिस बल उपलब्ध कराने के लिए एसपी को पत्र लिखा जाना है। इसके बाद मंगलवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू होगी।