शेजवलकर महापौर बने रहेंगे, या पद छोड़ेंगे इस पर उनके सांसद निर्वाचित होने के साथ ही चर्चा शुरू हो गई है। एडवोकेट मुकेश गुप्ता का कहना है कि महापौर का पद लाभ का पद है, इसलिए उन्हें नैतिकता के नाते इस पद को छोड़ देना चाहिए। या इस पद से मिलने वाले लाभ छोड़ देना चाहिए। पत्रिका ने जब विधिवेत्ताओं से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मप्र उच्च न्यायालय के लाभ के पद को लेकर कुछ न्यायिक दृष्टांत हैं, जिसमें महापौर के पद का जिक्र नहीं है।
क्या है लाभ का पद
अगर कोई व्यक्ति लाभ का पद धारण करता है तो उसे संसद सदस्य तथा राज्य विधानसभा के सदस्य बनने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है, लेकिन लाभ का पद उसे ही कहा जाएगा जो सरकारी पद हो। किसी मंत्री को लाभ के पद पर नहीं माना जाता है, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा मंत्री पद का दर्जा दिया गया है।
महापौर पद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
संविधान के अनुच्छेद 102 में इसका वर्णन है। इसके अनुसार कोई भी प्रत्याशी दोनों हाउस के लिए नहीं चुना जाएगा, यदि वह लाभ का पद रखता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी लाभ के पद को लेकर विभिन्न मामलों में व्याख्या की है। इसमें राज्य शासन व केन्द्र सरकार की विभिन्न पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों का उल्लेख किया गया है, जिसमें सरकार पारिश्रमिक प्रदान कर रही हो। क्या कार्य किया जा रहा है इस पर सरकार का नियंत्रण हो। उस व्यक्ति को उक्त पद से हटाने का अधिकार या निलंबित करने का अधिकार सरकार के पास हो, लेकिन महापौर के पद को लेकर कोई स्पष्ट उल्लेख अभी नहीं मिला है।
यह भी कहना है
निगम संवैधानिक बॉडी है जो कि कानून से चलती है। यदि कोई पदाधिकारी इस संस्थान से वेतन, भत्ते, आवास सुविधा सहित अन्य सुविधाएं लेता है तो वह पद लाभ का पद माना जाएगा।
इंदौर :विधायक रहे हैं महापौर
इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय विधायक पद के साथ ही महापौर भी रहे हैं, लेकिन सांसद रहकर महापौर रह सकते हैं या नहीं, इसका कोई उदाहरण सामने नहीं आया है।
यह भी कहना है
निगम संवैधानिक बॉडी है जो कि कानून से चलती है। यदि कोई पदाधिकारी इस संस्थान से वेतन, भत्ते, आवास सुविधा सहित अन्य सुविधाएं लेता है तो वह पद लाभ का पद माना जाएगा।