289 पेजों की यह किताब पहली बार वर्ष 2000 से 2003 के बीच प्रकाशित हुई थी। लेखक डॉ. वृंदावनलाल वर्मा ने प्रस्तावना मे उल्लेख किया कि उनको अपने परदादा आनंदराय से किताब लिखने की प्रेरणा मिली। रानी लक्ष्मीबाई के दीवान आनंदराय मऊ में अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा अपनी परदादी से आठ-दस वर्ष की उम्र में सुनते थे। परदादी ने रानी को देखा था। इतिहास के अध्ययन में पारसनीस की किताब में रानी लक्ष्मीबाई के जीवन चरित्र और परदादी के किस्सों से अलग थी। 1932 में जजी कचहरी से चालीस-पचास चिट्ठियां मिलीं। यह चि_ियां 1858 में अंगरेज फौजी अफसर ने लेफ्टिनेंट गवर्नर को झांसी पर अधिकार करने के बाद रोज-रोज लिखी थीं। इससे स्पष्ट हो गया कि रानी का शौर्य विवशता से उत्पन्न नहीं हुआ था। मेरा विश्वास दृढ़ हुआ कि रानी स्वराज्य के लिए ही लड़ी थी। इसमें रानी लक्ष्मीबाई के स्वाधीनता संग्राम और उससे पहले की घटनाओं को वर्णन है।
रानी लक्ष्मीबाई की शहादत और सिंधिया फिर बना मुद्दा
बड़ी सवाल : कांग्रेसियों की चिंता कहीं सिंधिया पार्टी में लौटे तो …
ग्वालियर की जनता और कांग्रेसी कब तक सहेंगे गद्दारी का जुल्म ग्वालियर दक्षिण विधायक ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच सवाल उठाया कि आखिर कब हम और ग्वालियर की जनता गद्दारी के जुल्म हो सहेगी। 1857 की बात हो या फिर मार्च-2020 की गद्दारी की सबसे ज्यादा सजा ग्वालियर की जनता ने ही भुगती है। कांग्रेस कार्यालय में शुक्रवार को बैठक के बीच पाठक ने यह भी कहा कि स्व. माधवराव सिंधिया कांग्रेस छोड़कर गए और उसके बाद लौटे तो कांग्रेस के नेताओं को ही परेशान किया। 20 साल तक जिस कांग्रेस पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को पद और सम्मान दिया वह हार के संघर्ष को सहन नहीं कर पाए और पार्टी छोड़ दी। आज सालों से कांग्रेस पार्टी में रहकर जिन लोगों ने पार्टी को बचाए रखा है उनको सम्मान मिलना चाहिए। पाठक ने कहा, विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार हो रही है और फिर सिंधिया पार्टी छोड़ेगे, इसलिए मेरी कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व से गुजारिश है कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया को वापस न लें।विधायक पाठक के सवाल उठाने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मप्र के प्रभारी मुकुल वासनिक ने कहा, मेरे रहते ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी कांग्रेस में नहीं लौट सकेंगे। कांग्रेस के वरिष्ठजन जिन्होंने पार्टी के लिए पसीना बहाया है उनको भी सम्मान मिलेगा।