जबरिया घर में घुसने की कोशिश क्यों की। परिवार को गालियां क्यों दीं। धमकाने के लिए पत्थर फेंके। इससे पहले भी लोग शिकायत करने आते रहे हैं। लेकिन इस तरह का बर्ताव तो मतदाओं ने कभी नहीं किया। जाहिर है आरोपी नेत्रपाल सिंह भदौरिया और उसके साथ आई भीड़ प्लानिंग से वारदात के मूड में थी।
किस्मत से वह पुलिस को साथ ले आए तो बच गए। उधर पुलिस का कहना है कि नेत्रपाल सिर्फ गड्ढे में गिरने से गुस्से पर हंगामा करना बता रहा है, इसके अलावा हर सवाल पर चुप है। उसके बाकी साथी पकड़े जाने पर स्थिति पता चलेगी। वहीं कांग्रेस पार्षद ने इस मामले मे 101 लोगो के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया है। एक साथ इतने सारे लोगों पर मामला दर्ज कराने के साथ ही राजनीति में अब घमासान मच गया है।
बस्ती से ताल्लुक नहीं फिर हंगामा क्यों?
पुलिस का कहना है आरोपी नेत्रपाल भदौरिया कुंजविहार,गोला का मंदिर का रहने वाला है। उसके पिता गुना में पुलिस में पदस्थ हैं। परिजन बता रहे हैं कि वह कुछ दिन पहले ही यहां रहने आया है। उसका चतुर्भुज के वार्ड 21 से कोई ताल्लुक नहीं है,फिर इतनी भीड़ लेकर पार्षद चतुर्भुज के घर क्यों पहुंच गया। जबकि कुंजविहार की सडक़ें भी खस्ता हाल हैं। वहां पार्षद से शिकायत क्यों नहीं। उधर नेत्रपाल कह रहा है चतुर्भुज के वार्ड से गुजर रहा था। सडक़ पर गड्ढे में गिर गया तो गुस्सा आ गया। इसलिए भीड़ को लेकर गया था।
पुलिस का कहना है आरोपी नेत्रपाल भदौरिया कुंजविहार,गोला का मंदिर का रहने वाला है। उसके पिता गुना में पुलिस में पदस्थ हैं। परिजन बता रहे हैं कि वह कुछ दिन पहले ही यहां रहने आया है। उसका चतुर्भुज के वार्ड 21 से कोई ताल्लुक नहीं है,फिर इतनी भीड़ लेकर पार्षद चतुर्भुज के घर क्यों पहुंच गया। जबकि कुंजविहार की सडक़ें भी खस्ता हाल हैं। वहां पार्षद से शिकायत क्यों नहीं। उधर नेत्रपाल कह रहा है चतुर्भुज के वार्ड से गुजर रहा था। सडक़ पर गड्ढे में गिर गया तो गुस्सा आ गया। इसलिए भीड़ को लेकर गया था।
सवालों पर चुप्पी साध गए परिजन
नेत्रपाल कुछ दिन पहले ही शहर में आया तो पार्षद के घर कैसे पहुंच गया। 101 लोग उसके समर्थन में पार्षद का घर घेरने कैसे आ गए। अगर पब्लिक सडक़ में गड्ढे को लेकर आक्रोशित थी तो पुलिस के आने पर भागी क्यों।आक्रोशित लोग घर में क्यों घुसना चाहते थे। उनका इरादा क्या था।
नेत्रपाल कुछ दिन पहले ही शहर में आया तो पार्षद के घर कैसे पहुंच गया। 101 लोग उसके समर्थन में पार्षद का घर घेरने कैसे आ गए। अगर पब्लिक सडक़ में गड्ढे को लेकर आक्रोशित थी तो पुलिस के आने पर भागी क्यों।आक्रोशित लोग घर में क्यों घुसना चाहते थे। उनका इरादा क्या था।
मां बोली, बीमार है बेटा
नेत्रपाल के पकड़े जाने का पता चलने पर उसके परिजन थाने पहुंच गए। उनका कहना था कि नेत्रपाल की मनोस्थिति ठीक नहीं है। उस पर पुलिस कार्रवाई नहीं करे। वह बीमार है, उसकी दवाएं चल रही हैं। एफआइआर नहीं कराने को लेकर थाने में पार्षद धनौलिया से भी कहासुनी हुई।
नेत्रपाल के पकड़े जाने का पता चलने पर उसके परिजन थाने पहुंच गए। उनका कहना था कि नेत्रपाल की मनोस्थिति ठीक नहीं है। उस पर पुलिस कार्रवाई नहीं करे। वह बीमार है, उसकी दवाएं चल रही हैं। एफआइआर नहीं कराने को लेकर थाने में पार्षद धनौलिया से भी कहासुनी हुई।
इस तरह चला घटनाक्रम
धनौलिया परिवार ने बताया मंगलवार रात करीब 8.30 बजे 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ घर के बाहर इकट्ठा हो गई। लोगों ने आवाज लगाकर कहा पार्षद को बाहर बुलाओ,उससे बात करना है। उस वक्त चतुर्भुज घर पर नहीं थे। उनके बड़े भाई नरेश ने लोगों से सुबह आने के लिए कहा तो नेत्रपाल और उसके साथी भडक़ गए। घर में घुसने की कोशिश की, किसी तरह उन्हें रोका तो दरवाजे को खोलने के लिए धक्के दिए।
धनौलिया परिवार ने बताया मंगलवार रात करीब 8.30 बजे 100 से ज्यादा लोगों की भीड़ घर के बाहर इकट्ठा हो गई। लोगों ने आवाज लगाकर कहा पार्षद को बाहर बुलाओ,उससे बात करना है। उस वक्त चतुर्भुज घर पर नहीं थे। उनके बड़े भाई नरेश ने लोगों से सुबह आने के लिए कहा तो नेत्रपाल और उसके साथी भडक़ गए। घर में घुसने की कोशिश की, किसी तरह उन्हें रोका तो दरवाजे को खोलने के लिए धक्के दिए।
घर में महिलाएं,बच्चे भी थे। सब डर कर छत पर चढ़ गए। वहां से उत्पात करने वालों की करतूत मोबाइल में रिकॉर्ड की। बचने के लिए भाई नरेश ने फोन कर घटना चतुर्भुज को बताई। उनसे कहा कि अकेले घर मत आना पुलिस को बुलाओ। चतुर्भुज पुलिस के साथ आए तो हंगामेबाज भाग गए,नेत्रपाल पकड़ा गया।