किसी भी उपभोक्ता अदालत में दर्ज करा सकता है मामला नए उपभोक्ता क़ानून के लागू होने के साथ अब उपभोक्ता देश के किसी भी कोने में किसी भी उपभोक्ता अदालत में मामला दर्ज करा सकता है। जिससे उपभोक्ता का समय और धन दोनों की बचत होगी। पहले ग्राहक को यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी। पहले ग्राहक जहां से सामान खरीदा उसी शहर जाकर उसे शिकायत दर्ज कराने का झमेला उठाना पड़ता था। समय के साथ किसी भी क़ानून में बदलाव और परिस्थितियों के हिसाब से क़ानून बनना बेहद जरूरी होता है। इसी मियाद को मद्देनजर रखते हुए डिजिटल भारत के दौर में ऑनलाइन कारोबार को भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में शामिल किया गया है ताकि ऑनलाइन ठगी आदि से उपभोक्ताओं को निज़ात मिल सके।
कुछ ऐसा है सजा का प्रावधान
उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 के अध्याय-7 में अपराध और दंड का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि कोई विनिर्माता या सेवा प्रदाता अगर झूठा या भ्रामक विज्ञापन देता है तो इसके लिए दो साल कारावास की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। सजा का यह प्रावधान पहली बार भ्रामक व झूठा विज्ञापन का दोषी पाए जाने पर है। जबकि अगली बार भी दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कारावास की सजा और 50 लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है।
उपभोक्ता संरक्षण कानून-2019 के अध्याय-7 में अपराध और दंड का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि कोई विनिर्माता या सेवा प्रदाता अगर झूठा या भ्रामक विज्ञापन देता है तो इसके लिए दो साल कारावास की सजा और 10 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। सजा का यह प्रावधान पहली बार भ्रामक व झूठा विज्ञापन का दोषी पाए जाने पर है। जबकि अगली बार भी दोषी पाए जाने पर पांच साल तक कारावास की सजा और 50 लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है।
सेलीब्रिटी की भी होगी जिम्मेदारी तय
जानकारों के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में उपभोक्ता के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है और झूठे व गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नये कानून के लागू होने पर फिल्म जगत के अभिनेता, अभिनेत्री समेत तमाम मशहूर हस्तियां किसी कंपनी के उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए अनुबंध करने से पहले उत्पाद की गुणवत्ता को जरूर परखेंगे क्योंकि भ्रामक विज्ञापन देने पर उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
जानकारों के अनुसार उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 में उपभोक्ता के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है और झूठे व गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नये कानून के लागू होने पर फिल्म जगत के अभिनेता, अभिनेत्री समेत तमाम मशहूर हस्तियां किसी कंपनी के उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए अनुबंध करने से पहले उत्पाद की गुणवत्ता को जरूर परखेंगे क्योंकि भ्रामक विज्ञापन देने पर उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
नुकसान पर तय होगी सजा
कानून में मिलावटी व खतरनाक वस्तु बनाने और बेचने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अगर ऐसे उत्पाद से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में छह महीने तक जेल की सजा और एक लाख रुपए तक जुमार्ना का प्रावधान है।उपभोक्ताओं को मिलावटी वस्तु से जब नुकसान होता है, लेकिन गंभीर नुकसान नहीं होता है तो उस स्थिति में एक साल तक जेल की सजा और तीन लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
कानून में मिलावटी व खतरनाक वस्तु बनाने और बेचने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अगर ऐसे उत्पाद से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में छह महीने तक जेल की सजा और एक लाख रुपए तक जुमार्ना का प्रावधान है।उपभोक्ताओं को मिलावटी वस्तु से जब नुकसान होता है, लेकिन गंभीर नुकसान नहीं होता है तो उस स्थिति में एक साल तक जेल की सजा और तीन लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।
उम्रकैद की भी हो सकती है सजा
वहीं जब ऐसी वस्तु से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो वैसी स्थिति में सात साल तक जेल की सजा और पांच लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, मिलावटी व खतरनाक वस्तु के कारण अगर उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो ऐसी वस्तु बनाने वाले या बेचने वाले को कम से कम सात साल की जेल की सजा होगी, लेकिन उसे बढ़ाकर उम्रकैद तक की जा सकती है। साथ ही, जुर्माना भी 10 लाख रुपए से कम नहीं होगा।
वहीं जब ऐसी वस्तु से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो वैसी स्थिति में सात साल तक जेल की सजा और पांच लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है।नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, मिलावटी व खतरनाक वस्तु के कारण अगर उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो ऐसी वस्तु बनाने वाले या बेचने वाले को कम से कम सात साल की जेल की सजा होगी, लेकिन उसे बढ़ाकर उम्रकैद तक की जा सकती है। साथ ही, जुर्माना भी 10 लाख रुपए से कम नहीं होगा।