बॉटनी, रसायन शास्त्र की लगभग 30 कॉपियों में छात्राओं ने प्रश्नों के उत्तर में पहली लाइन प्रश्न के आधार पर लिखी थी, इसके बाद या तो भारत का इतिहास लिखा था या फिर कश्मीर समस्या को आधार बनाकर लिखा गया था। कॉपियों में यह सब देखकर मूल्यांकन कर रहे विशेषज्ञों ने परीक्षा नियंत्रक प्रो आरकेएस सेंगर को सूचना देकर पूरी बात बताई। इसके बाद दोबारा से कॉपियां चेक की गईं, तो एक कॉपी में उत्तर गलत होने के बाद भी 12 नंबर दिए गए थे। बाद में प्रोफसर ने सारे उत्तर गलत होने के कारण यह नंबर भी काटे जाने की अनुशंसा की है। कुछ प्राध्यापकों (मूल्यांकन कर्ता) ने छात्राओं के प्रदर्शन,हंगामे और प्रतिष्ठा धूमिल किए जाने के डर से मूल्यांकन करने में असमर्थता भी जताई है।
कुछ इस तरह लिखा है कॉपियों में
-प्रश्न-4 में पूछा गया है कि विसंगति, संचयी एवं संयुमित डाइन को उदाहरण देकर समझाइये? छात्रा ने इसके उत्तर में लिखा है कि एक्टेनाइट में चौदह तत्व होते हैं, उन्हें एक्टेनाइट तत्व कहते हैं। इन्हें शून्य प्रणात्मक नहीं कहा जा सकता है।
-प्रश्न-4 में पूछा गया है कि विसंगति, संचयी एवं संयुमित डाइन को उदाहरण देकर समझाइये? छात्रा ने इसके उत्तर में लिखा है कि एक्टेनाइट में चौदह तत्व होते हैं, उन्हें एक्टेनाइट तत्व कहते हैं। इन्हें शून्य प्रणात्मक नहीं कहा जा सकता है।
इसके बाद लिखा है कि कश्मीर समस्या भारत और पाकिस्तान की सबसे उलझी हुई जटिल समस्या है। भारत और पाकिस्तान को देशी रियायतें दी जा रही थीं, तब कश्मीर के राजा कश्मीर के राजा हरिसिंह से पूछा गया कि आप अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में मिल सकते हैं, तो हरिसिंह ने कहा अगर मैं भारत में मिलता हूं तो पाकिस्तान की मुस्लिम जनता के साथ अन्याय होगा और अगर पाकिस्तान में मिलता हूं तो भारत की हिंदू जनता के साथ अन्याय होगा फिर उन्होंने स्वतंत्र रहने की घोषणा की थी।
इसके बाद बारामूला से कबालियों ने आक्रमण कर दिया और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि हम सैनिक तो भेज सकते हैं पर आपको भारत या पाकिस्तान में मिलने का फैसला करना पड़ेगा।