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इस तरह कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग, मरीज को परिजन खुद से ले आ रहे अस्पताल, अधिकारी नहीं उठाते कॉल

locationग्वालियरPublished: Mar 30, 2020 09:25:21 am

Submitted by:

Amit Mishra

हेल्पलाइन सिर्फ दिखावा, अधिकारियों को फोन करने का भी नहीं हो रहा कोई फायदा

इस तरह कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग, मरीज को परिजन खुद से ले आ रहे अस्पताल, अधिकारी नहीं उठाते कॉल

इस तरह कैसे जीतेंगे कोरोना से जंग, मरीज को परिजन खुद से ले आ रहे अस्पताल, अधिकारी नहीं उठाते कॉल

ग्वालियर। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की सूचनाओं और जिले में बाहर से आने वाले लोगों के संबंध में सूचनाएं देने के लिए शिवपुरी जिला अस्पताल में नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है परंतु 23 मार्च को बनाए गए इस कंट्रोल रूम पर अभी तक दी गई सूचना पर किसी तरह की रिस्पांस सामने नहीं आया है।

लोगों का कहना है कि अधिकारियों को फोन लगाने का कोई फायदा नहीं है। ऐसा एक नहीं कई उदाहरण शिवपुरी में सामने आए हैं। इन हालातों में अगर यह कहा जाए कि हेल्पलाइन सिर्फ दिखावा है और अधिकारियों को फोन करनो से भी कोई फायदा नहीं तो शायद या अतिशयोक्ति नहीं होगी।

सेंटर कल से चालू हुआ
लोगों की शिकायत के बाद पत्रिका ने रविवार को जब जिला अस्पताल जाकर कॉल सेंटर की स्थिति जानने की कोशिश की तो कॉल अटेंडर नर्स ने बताया कि रविवार दोपहर 12 बजे तक 18 कॉल आएं है। कॉल अटेंडर नर्स के अनुसार कॉल सेंटर 28 मार्च से खुला है जबकि वास्तविकता में अस्पताल प्रबंधन 23 मार्च को कॉल सेंटर खोलने की बात कही थी। पिछले कॉल की कोई डिटेल सेंटर पर नहीं थी।

उदाहरण 1 : हेल्पलाइन से अधिकारी तक ने नहीं की सुनवाई
शनिवार को ग्राम जसराजपुर के एक व्यक्ति राजकुमार पुत्र भरोसी कोली को सर्दी, खासी, बुखार की शिकायत सामने आ रही थी। ग्रामीणों ने मामले की सूचना विभिन्न माध्यमों से हेल्पलाइन सहित सभी को दिलवाई परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई।

ग्रामीणों का तो यहां तक कहना है कि एक व्यक्ति से सीएमएचओ ने यह तक बोल दिया कि हमने उस व्यक्ति का टेस्ट करवा लिया। जबकि गांव वालों का कहना है कि ऐसी कोई टीम गांव आई ही नहीं थी। आखिरकार पंचायत सचिव के माध्यम से सीएमएचओ को फोन करवाया गया। सीएमएचओ ने फोन उठाया ही नहीं, एसडीएम ने आधे घंटे बाद गाड़ी पहुंचाने का आश्वासन दिया लेकिन गाड़ी नहीं पहुंची। आखिरकार राजकुमार का भाई खुद 3:30 बजे उसे अपने साधन से जिला अस्पताल लाया। जहां डॉक्टरों ने उसका टेस्ट कराकर होम क्वारंटाइन के निर्देश दिए साथ ही यह भी कहा कि अगर हालात बिगड़े तो फिर से ले आना। ऐसे में हेल्पलाइन और अधिकारियों को फोन लगाने का फिर क्या औचित्य़ ?

 

उदाहरण दो हेल्पलाइन उठा नहीं, अधिकारी का नंबर स्विच ऑफ
कपिल यादव का कहना है कि उसने झमामबाड़ा क्षेत्र में हैदराबाद से आकर रह रहे एक युवक की जानकारी देने के संबंध में शनिवार को एपिडेमियोलॉजिस्ट के नंबर पर फोन लगाया । क्योंकि वह नंबर जानकारी देने के संबंध में फ़्लैश हो रहा था। परंतु नंबर स्विच ऑफ जा रहा था इसके अलावा हेल्पलाइन सेंटर के मोबाइल नंबर फोन लगाया तो वह भी स्विच ऑफ। कपिल का मोबाइल नंबर क्या औचित्य़?

उदाहरण तीन दोनों नंबर में से कोई नहीं उठा फोन
वर्षा जैन का कहना है गुरुवार को उसने किसी जानकारी के संबंध में हेल्पलाइन के दोनों नंबरों पर फोन लगाएं परंतु दोनों नंबरों में से एक भी नंबर नहीं लगे ऐसे में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वह जानकारी आखिर किसे दें और किससे लें।

उदाहरण चार: सब दिखावा है
अमन जैन के नाम के युवक ने बताया कि बुधवार की शाम उसने किसी जानकारी के संबंध में कॉल किया फोन लगाया था। वहां अटेंडर ने फोन उठाया। जब जानकारी देने की बात कही तो अटेंडर का कहना कि 10 मिनट बाद फोन लगाना। अमन के अनुसार सब दिखावा है।

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