पुलिस अधिकारी मानते हैं कि थाना स्तर पर हथियारों की सफाई पर कोरोना ड्यूटी भारी रही है। इसके अलावा थाने आकर इन हथियारों का आर्मोर टीम निरीक्षण करती रही है। वह भी कोरोना ने थामा है। हांलाकि अब अनलॉक हो गया है तो थाना स्तर पर हथियारों की सफाई और उनकी स्थिति के आर्मोर टीम का विजिट भी होगा।
साफ के अभाव में फायर पॉवर पर असर
बंदूक, पिस्टल के नाल घोड़े की समय-समय पर साफ-सफाई नहीं होने से उसकी फायर पावर पर असर होता है
पुलिस के सरकारी हथियार 24 घंटे इस्तेमाल में आते हैं। एक शिफ्ट खत्म होने पर दूसरी शिफ्ट के पुलिसकर्मी हथियार लेकर डयूटी करते हैं। ऐसे मेंं इनकी थाना स्तर पर भी नियमित साफ सफाई जरूरी है।
एक थाने में करीब 40 हथियार
अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को हथियार तो मुहैया कराए गए हैं, लेकिन अब उन्हें मेंटेनेंस की भी दरकार है। पिछले डेढ़ साल से शहर और देहात के थानों में पुलिस को थमाए हथियारों की साफ सफाई में भी थाना स्तर पर ढील पोल रही है। हथियारों की सफाई को लेकर नियम हैं, इसमें थाना स्तर और पुलिस लाइन में आर्मोर शाखा में हथियारों की सफाई होती है, थाने में सात दिन में एक बार हथियार साफ करना लाजमी है। लाइन में साल में एक बार इनका मेंटेनेंस होता है। इसके अलावा चांदमारी में हथियारों की तासीर परखी जाती है। जो वेपन कमजोर होता है उसे बदल कर दूसरा दिया जाता है।
कोरोना से हुई गड़बड़
थाना स्तर पर हथियारों की सात दिन में एक बार सफाई होना चाहिए। यह जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होती है। इसे साप्ताहिक स्तर पर कराना चाहिए। पुलिस लाइन में साल में एक बार हथियारों की ब्राउनिंग की जाती है। वह नियमित हुई है। जो हथियार गड़बड़ दिखे हैं उन्हें बदला गया है। चांदमारी में भी जो हथियार कारगर नहीं दिखे उनके बदले दूसरे हथियार पुलिसकर्मियों को दिए हैं। कोरोना गाइडलाइन की वजह से पुलिस की परेड प्रभावित हुई है।
रंजीत सिंह आरआइ ग्वालियर