कम पड़ रहा बजट
लाल टिपारा स्थित गोशाला में 7 हजार से अधिक गोवंश हैं। इनमें से अधिकांश गाय ऐसी हैं जो दुधारू नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में गायों की देखभाल करने के लिए अधिक फंड की जरूरत पड़ती है। इसके लिए निगम के पास साल में 10 करोड़ का बजट है, वह कम पड़ रहा है।
लाल टिपारा स्थित गोशाला में गोबर खाद की बेचने की भी बात कही गई थी, लेकिन यहां गोबर के ढेर लगे हैं, खाद नहीं बिक रही है। इसके लिए गोशाला प्रबंधन भी कोई प्रयास नहीं कर रही है।
निगम अधिकारियों के अनुसार गोशाला में दूध देने वाली करीब 300 गाय हैं। इनसे रोजाना 300 से 350 किलो दूध निकलता है। इसमें से 200 किलो दूध 31 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ठेकेदार द्वारा खरीदा जाता है।
गोनाइल के लिए भंडार शाखा से कच्चा माल नहीं मिल रहा है, जिससे उसका निर्माण बंद है। जहां तक लकड़ी बनाने की बात है तो उसे सुखाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, इसलिए वह कम ही निर्माण हो रहा है। गोबर की खाद की भी बिक्री नहीं हो रही है।
केशव सिंह चौहान, नोडल गोशाला