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गोशाला से पीछा छुड़ाना चाहती है निगम, प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

locationग्वालियरPublished: Dec 16, 2019 01:41:24 am

Submitted by:

Rahul rai

गोशाला को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो प्रयास शुरू किए गए थे वह भी अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं।

गोशाला से पीछा छुड़ाना चाहती है निगम, प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

गोशाला से पीछा छुड़ाना चाहती है निगम, प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

ग्वालियर। नगर निगम शहर में संचालित दो गोशालाओं से पीछा छुड़ाना चाहती है। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर गोशाला का संचालन पशु पालन विभाग को सौंपने की बात कही है। पत्र में वित्तीय स्थिति को आधार बनाया है। वहीं गोशाला को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो प्रयास शुरू किए गए थे वह भी अब पूरी तरह से बंद हो चुके हैं।

कम पड़ रहा बजट
लाल टिपारा स्थित गोशाला में 7 हजार से अधिक गोवंश हैं। इनमें से अधिकांश गाय ऐसी हैं जो दुधारू नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में गायों की देखभाल करने के लिए अधिक फंड की जरूरत पड़ती है। इसके लिए निगम के पास साल में 10 करोड़ का बजट है, वह कम पड़ रहा है।
गोनाइल बनाने का काम भी बंद

गोशाला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगभग डेढ़ साल पहले प्रयास किए गए थे, जिनमें नवाचार करते हुए गोनाइल और गोबर से लकड़ी बनाने की शुरूआत की गई थी। यहां बनाए गए गोनाइल की कीमत 8 रुपए प्रति लीटर पड़ रही थी। अगर इसे नगर निगम द्वारा खरीदकर उपयोग किया जाए तो काफी हद तक निगम को फायदा हो सकता था। क्योंकि निगम द्वारा 40 से 50 रुपए प्रतिलीटर के हिसाब से फिनाइल खरीदी जा रही है। वहीं गोबर से लकड़ी बनाने का कार्य भी बहुत कम हो रहा है।
खाद की नहीं हो रही बिक्री
लाल टिपारा स्थित गोशाला में गोबर खाद की बेचने की भी बात कही गई थी, लेकिन यहां गोबर के ढेर लगे हैं, खाद नहीं बिक रही है। इसके लिए गोशाला प्रबंधन भी कोई प्रयास नहीं कर रही है।
300 दुधारू गाय
निगम अधिकारियों के अनुसार गोशाला में दूध देने वाली करीब 300 गाय हैं। इनसे रोजाना 300 से 350 किलो दूध निकलता है। इसमें से 200 किलो दूध 31 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ठेकेदार द्वारा खरीदा जाता है।

गोनाइल के लिए भंडार शाखा से कच्चा माल नहीं मिल रहा है, जिससे उसका निर्माण बंद है। जहां तक लकड़ी बनाने की बात है तो उसे सुखाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, इसलिए वह कम ही निर्माण हो रहा है। गोबर की खाद की भी बिक्री नहीं हो रही है।
केशव सिंह चौहान, नोडल गोशाला
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