scriptमिलावट का खर्च 6 रुपए लीटर, बेचते 40 के भाव, चूना मिलाने से लैब में भी नहीं पकड़ा जाता नकली दूध | Cost of adulteration is 6 rupees a liter, selling 40 rupees, fake milk | Patrika News

मिलावट का खर्च 6 रुपए लीटर, बेचते 40 के भाव, चूना मिलाने से लैब में भी नहीं पकड़ा जाता नकली दूध

locationग्वालियरPublished: Aug 06, 2019 01:23:27 am

Submitted by:

Rahul rai

जिन कारोबारियों पर एसटीएफ ने फोकस किया है वह एक दिन में लगभग 8 से 10 हजार लीटर दूध खपाते हैं। इसके लिए आधे से कम असली दूध खरीद कर उसमें नकली दूध की मिलावट की जाती है। इसमें एक कारोबारी हर दिन डेढ़ से दो लाख रुपए कमाता है।

मिलावट का खर्च 6 रुपए लीटर, बेचते 40 के भाव, चूना मिलाने से लैब में भी नहीं पकड़ा जाता नकली दूध

मिलावट का खर्च 6 रुपए लीटर, बेचते 40 के भाव, चूना मिलाने से लैब में भी नहीं पकड़ा जाता नकली दूध

ग्वालियर। नकली दूध बनाने के धंधे की अब अंदरूनी परतें खुलने लगी हैं। अभी तक जो मिलावटखोर पकड़े गए हैं वह काले कारोबार के कई राज खोल रहे हैं। इसके अलावा जो यह धंधा छोड़ चुके हैं, वह भी उन बातों का खुलासा कर रहे हैं जिन्हें मिलावटखोर दबा कर बैठे हैं। पकड़े गए लोगों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया है कि इस धंधे में निवेश की रकम सालभर में दस गुना होती है। एक लीटर नकली दूध बनाने में खर्च सिर्फ 6 रुपए आता है। इसे बाजार में 40 रुपए के भाव से बेचते हैं। जिन कारोबारियों पर एसटीएफ ने फोकस किया है वह एक दिन में लगभग 8 से 10 हजार लीटर दूध खपाते हैं। इसके लिए आधे से कम असली दूध खरीद कर उसमें नकली दूध की मिलावट की जाती है। इसमें एक कारोबारी हर दिन डेढ़ से दो लाख रुपए कमाता है।
पकड़े गए गिर्राज डेयरी के संचालक संतोष भदौरिया से नकली दूध बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामान बरामद करना था, इसलिए एसटीएफ उसे रावतपुरा, भिण्ड उसके घर ले गई। यहां पता चला कि संतोष ने फर्म का रजिस्टे्रशन जीजा धर्मेन्द्र के नाम से करा रखा है। धंधे में उसके साथ शामिल कुछ और लोगों को भी हिरासत में लिया।
चूना मिलाकर छिपाते शैंपू की मिलावट
नकली दूध बनाने वाले मिलावटखोरी छिपाने के लिए तमाम पैंतरे अपनाते हैं, इसलिए उनसे दूध खरीदने वाली नामी गिरामी कंपनियां भी धोखा खा जाती हैं। पूछताछ में आरोपी संतोष भदौरिया ने बताया कि नकली दूध बनाने के लिए शैंपू और रिफाइंड का घोल मिलाकर शुरुआत की जाती है। आम ग्राहक को दूध बेचते समय पकड़े जाने का खुटका नहीं रहता, लेकिन कंपनी को दूध की सप्लाई होती है तो वहां लैब में दूध में मिलावट पकड़े जाना तय है, इसलिए दूध में देसी चूना भी मिलाते हैं। इससे शैंपू का असर दब जाता है और लैब की मशीन भी दूध में मिलावट नहीं पकड़ पाती।
सरगना अंडरग्राउंड, मोबाइल भी बंद
भिंड में नकली दूध के कारोबार का सरगना राजीव गुप्ता अंडरग्राउंड है, उसके सभी मोबाइल भी बंद हैं। उसके जहां छिपे होने की संभावना थी वहां खंगाला जा चुका है, लेकिन वहां उसकी मौजूदगी नहीं मिली है। आशंका है कि वह किसी दूसरे प्रदेश में सुरक्षित ठिकाने पर दुबका है। उसके बारे में जानकारी रखने वालों ने एसटीएफ को बताया कि कुछ साल पहले तक उसकी माली हालत खराब थी, जब से उसने दूध का कारोबार शुरू किया उसकी संपति में लगातार इजाफा होता गया। पैसे के बूते पर उसने राजनीति के दंबगों से नजदीकी बना ली। उनके बूते पर ही वह बचने की कोशिश कर रहा है।
यातायात पुलिस ने पकड़ी दूध की गाडिय़ां
सोमवार को सुबह यातायात पुलिस ने मुरैना से दूध लेकर लाए लाखन सिंह गुर्जर निवासी बूमरबसई और रामगोपाल सिंह गुर्जर निवासी जड़ेरुआ मुरैना को घेर लिया। दोनों करीब 180 लीटर दूध पिकअप वैन एमपी 06 जीए 1563 और एमपी 06 जीए 1310 में लेकर आए थे। यातायात डीएसपी नरेश अन्नोटिया ने बताया कि दोनों गाडिय़ों में एल्यूमीनियम की टंकियों में दूध भरा था। उन्हें पकडकऱ बहोड़ापुर थाने ले जाकर खाद्य विभाग की टीम को बुलाकर दूध की सैंपलिंग कराई। दूध लेकर आए लाखन सिंह का कहना था कि वह गांव में मवेशी पालने वालों से दूध खरीदकर शहर में लाते हैं। यहां साइकिल पर टंकी रखकर घरों में दूध बांटते हैं। उसकी लोडिंग गाड़ी में साइकिल भी रखी मिली। जबकि रामगोपाल का कहना था कि वह पंजाब डेयरी पर दूध सप्लाई करता है। सारा दूध वहीं देने जा रहा था। फूड एंड सेफ्टी अधिकारी सतीश शर्मा के मुताबिक दोनों दूध कारोबारियों से मिले दूध का सैंपल कर लेकर जांच के लिए भोपाल भेजा गया है, वहां से जो रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर कार्रवाई होगी।
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