ग्वालियर

होर्डिंग मामले की जांच ईओडब्ल्यू कराए, सभापति बोले-१५ दिन में हों नए टेंडर

शहर में लगे अवैध होर्डिंग की जांच रिपोर्ट आने के बाद दो डेढ़ घंटे तक होर्डिंग लगाए जाने वाले मामले में होने वाली आर्थिक गड़बड़ी व निगम राजस्व के नुकसान पर चर्चा हुई। जांच समिति द्वारा रिपोर्ट के आधार पर परिषद में होर्डिंग शाखा प्रभारी शशिकांत शुक्ला पर कार्रवाई किए जाने की बात कही गई। रिपोर्ट की भनक पहले ही होर्डिंग शाखा प्रभारी को लग चुकी थी, उन्होंने सुबह पत्र देकर अधिकारियों के समक्ष अपना पक्ष रखा।

ग्वालियरNov 19, 2019 / 10:37 pm

Pawan Dixit

Councilors angry over the hoarding committee’s investigation report

ग्वालियर। इस पत्र के आधार पर कई पार्षद होर्डिंग प्रभारी के पक्ष में उतरे और एक व्यक्ति को दोषी न मानने की बात कही। इसी समय उप नेता प्रतिपक्ष ने पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू और प्रधानमंत्री कार्यालय से भी कराए जाने की बात सदन के समक्ष रखी। मंगलवार को सदन की कार्रवाई शुरू हुई। यह सदन का पहला सत्र में सबसे पहले पार्षद धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि कई वार्डों में निविदा निकलने के बाद टेंडर किए गए, फिर भी काम शुरू नहीं हुए। बलवीर ङ्क्षसह तोमर ने कहा कि मेरे क्षेत्र की सड़क खराब है लोगों को परेशानी हो रही है। इसके बाद आयुक्त संदीप माकिन ने कहा कि मैं आप लोगों की फाइलों को निपटा नहीं पा रहा हूं। दो दिन में सभी फाइलें पूरी करूंगा।
होर्डिंग समिति की जांच रिपोर्ट पेश की गई। इसमें समिति संयोजक धर्मेन्द्र राणा, उप नेता प्रतिपक्ष कृष्ण राव दीक्षित और धर्मेन्द्र कुशवाह द्वारा की गई जांच के आधार पर शहर में लगाए गए होर्डिंग अवैध, साइज अधिक होने व ग्लोबल एडवरटाइजिंग एजेंसी का टेंडर होने के बाद ७० लाख रुपए जमा होने पर भी स्वीकृति न दिए जाने की बता कही गई। होर्डिंग प्रभारी पर द्वेष पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया। इस पर पार्षद दिनेश दीक्षित ने कहा कि इसमें एक व्यक्ति को दोषी नहीं माना जा सकता है। यह मामला पूर्व निगम आयुक्त अनय द्विवेदी के समय का है, इसमें एक व्यक्ति पर कार्रवाई करना उचित नहीं होगा। जयसिंह सोलंकी ने भी कहा कि इसमें एक व्यक्ति दोषी नहीं हो सकता है। आयुक्त भी शहर में हैं, वे पूरे मामले की मॉनिटरिंग करते हैं तो फिर एक व्यक्ति पर क्यों दोष रोपा जा रहा है। इसमें एड एजेंसी भी दोषी है।
नेता प्रतिपक्ष कृष्ण राव दीक्षित ने कहा कि जांच रिपोर्ट ईओडब्ल्यू और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजकर सदन की ओर से जांच कराने की अनुशंसा की जाए।

धर्मेन्द्र राणा ने कहा- होर्डिंग जांच समिति ने फील्ड में एक-एक होर्डिंग देखे हैं। कई जगह होर्डिंग का साइज बढ़ाकर लगाया गया, कुछ स्थानों पर होर्डिंग अवैध मिले। जिस जगह होर्डिंग लगाने की स्वीकृति स्वच्छ भारत अभियान में दी गई, वह वहां से हटाकर दूसरी जगह लगाए हैं। जांच समिति ने होर्डिंग मालिकों को उनका पक्ष जानने के लिए बुलाया था। बस स्टैंड पर होर्डिंग की फाइल निगम की ओर से जांच समिति को नहीं दी गई है। जांच समिति किसी के पक्ष या विरोध में नहीं है।
जयङ्क्षसह सोलंकी- मैंने सभापति को पत्र दिया है, उसका वाचन कराया जाए। इसके बाद पत्र को पढ़ा गया और ग्लोबल एडवारटाइङ्क्षजंग के अवैध होर्डिंग व पिछला बकाया राशि वसूली जाने की बात कही गई। इस पूरे मामले में ग्लोबल एडवारटाइजिंग एजेंसी संचालक प्रबल दीक्षित का कहना है कि मेरी ओर से शहर में कोई होर्डिंग नहीं लगा है। जो भी पत्र पढ़ा गया है वह निराधार है।
बॉक्स– यह हुआ निर्णय
सभापति राकेश माहौर- होर्डिंग की जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर आर्थिक रूप से निगम के राजस्व को हानि हुई है। न्यायालय में चल रहे मामले में भी २० करोड़ की हानि होना बताया। इस पूरे मामले में पंद्रह दिन में नए टेंडर बुलाए जाएं। होर्डिंग शाखा के पुराने अधिकारी-कर्मचारी को बदलकर नए नियुक्त किए जाएं।
आयुक्त संदीप माकिन- पिछल साल की तुलना में इस बार होर्डिंग से राजस्व वसूली में निगम आगे हैं। ३८ जगह से हार्डिंग हटाकर गोशाला में लोहा भेजा गया है। दुकानों पर निर्धारित आकार से अधिक फ्लैक्स बैनर लगाने पर पांच हजार लोगों को नोटिस भी दिए गए हैं।
डोर टू डोर कचरा कलेक्टशन पर उपसभापति नहीं ले सके निर्णय बीजेपी पक्ष ने परिषद का किया बहिष्कार
परिषद का दूसरा सत्र ३ बजे से ५.३० बजे तक चला। परिषद की अध्यक्षता उप सभापति दिनेश दीक्षित ने की। सत्र का शुरू होते ही पार्षदों के पत्र पढ़े गए। पार्षद जगदीश पटेल ने वार्डों में मृत जानवरों की बॉडी उठाए जाने की बात रखी। इस पर परिषद ने सहमति दे दी। इसके बाद डोर-टू-डोर यूजर चार्ज लगाए जाने के दूसरा प्रश्र सदन में रखा गया।
नीलिमा शिन्दे- यह कर लगना चाहिए इससे शहर के स्वच्छता के नंबर कटते हैं। यह कर आवासीय भवनों पर न लगकर कमर्शियल एरिया पर लगाए जाना चाहिए।
वंदना अरोरा– यूजर चार्ज कमर्शियल से लेते है तो ठीक है लेकिन उन वार्डों पर लगाते है जिनमें नियमित कचरा उठाने के लिए गाडिय़ां नहीं पहुंच रही है तो जनता के साथ अन्याय होगा।
कृष्ण राव दीक्षित– यह चार्ज उन पर लगाना ठीक नहीं हो जो नियमित कर दे रहे हैं। इसके अलावा इसमें सुधार किया जाए। ८० रुपए प्रति महीने की जगह ५० रुपए किया जाए।
जयसिंह सोलंकी– सबसे पहले यह जरूरी है कि कहां सफाई हो रही है। कहां नहीं हो रही है। इस बात की मॉनीटरिंग की जाए। इसके बाद सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक संस्थाओं से बातचीत करना ठीक होगा। निगम अब तक समायोजित कर ४० फीसदी ही ले पा रही है। टीसी कर लेने के लिए जाते नहीं है जो नियमित कर देते है उन पर अतिरिक्त कर लगाना ठीक नहीं है।
खेमचंद्र गुरवानी– इस कर पर पुन: विचार किया जाने की जरूरत है। इससे जनता पर बुरा असर पड़ेगा।
धर्मेन्द्र राणा– शहर के कई वार्डों में निजी सफाई कर्मी जनता से ५० रुपए महीना लेकर पैसा वसूल रहे हैं। इधर उस क्षेत्र के लोगों को समायोजित कर भी जमा करना पड़ता है। अब यूजर चार्ज लगेगा। इस तरह एक आदमी कितने जगह सफाई पर पैसा खर्च करेगा। यह दोष पार्षदों के ऊपर आएगा। पहले ६६ वार्डों की इकोग्रीन की व्यवस्था संभाले तब कही जाकर चार्ज पर सहमत होंगे।
सतीशसिंह सिकरवार- यूजर चार्ज से शहर में सफाई बढ़ेगी। निगम को आय होगी। इसका मापदंड निर्धारित करके लगाया जा सकता है। इससे छोटे व्यापारी व छोटे आवासों को मुक्त रखना ठीक होगा।
बॉक्स–पार्षदों ने किया विरोध आसंदी घेरी, फिर परिषद छोड़कर चले गए
इसके बाद पूरे मामले पार्षदों ने यूजर चार्ज को लेकर विरोध जताया और उप सभापति की आसंदी घेर ली। इसके बाद उप सभापति ने यूजर चार्ज पर कोई निर्णय नहीं लिया और गो आहार पर चर्चा शुरू कराई। गो आहार पर पार्षदों ने सहमति जाहिर की। फिर भी यूजर चार्ज पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। यह देखकर बीजेपी दल के पार्षदों ने अचानक परिषद को छोड़ते हुए बहिष्कार कर दिया। इसके बाद उपसभापति ने यूजर चार्ज पर २३ नवंबर को पुन: परिषद बुलाए जाने का निर्णय सुनाया।
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