कांग्रेस पार्षद ने भी दिया साथ
सभापति राकेश माहौर को बीजेपी पार्षदों ने निगमायुक्त के खिलाफ जब निंदा प्रस्ताव के लिए हस्ताक्षरयुक्त पत्र सौंपा तो इस दौरान कांग्रेस पार्षद चंदू सेन भी साथ रहे।
अभियाचित बैठक में बिंदु क्रमांक ५ निगम की दुकानों के ट्रांसफर और नामांकन में हो रही देरी को लेकर चर्चा होना थी। इस दौरान पार्षद धर्मेन्द्र राणा ने कहा कि दुकानों के ट्रांसफर और नामांकन में कई महीने लग रहे हैं, जिसके कारण लोगों को परेशानी हो रही है और निगम को भी आर्थिक क्षति पहुंच रही है। पार्षद गंगाराम बघेल ने कहा कि निगम की दुकानों के नामांत्रण और ट्रांसफर के लिए समय सीमा का निर्धारण होना चाहिए। वहीं पार्षद बृजेश गुप्ता ने कहा कि निगम अधिकारी कहने के बाद भी दुकानों का ट्रांसफर नहीं कर रहे हैं। बृजेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि अपर आयुक्त दिनेशचंद्र शुक्ला के यहां भी एक व्यक्ति कई बार चक्कर लगाता रहा और फोन करने के बावजूद हस्ताक्षर नहीं किए। इस पर अपर आयुक्त ने सफाई देते हुए कहा कि उनके पास तीन महीने से राजस्व का प्रभार नहीं है और उन्होंने किसी प्रकार का फोन नहीं किया।
बैठक में स्मार्ट सिटी द्वारा शहर की पार्किंग संचालन एवं वाहनों को क्रेन के जरिए उठाने का मामला भी उठा। स्मार्ट सिटी द्वारा पत्र के माध्यम से जवाब दिया गया कि निगम में संकल्प हुआ था उसके जरिए ही उन्होंने शहर में पार्किंग का ठेका दिया है, ठेके में दो पहिया वाहनों से ५ और चार पहिया वाहनों से २० रुपए वसूली का प्रावधान है। इस पर पार्षदों ने कहा कि संकल्प हुआ था लेकिन वह टेंडर के लिए था इसके बाद किसको टेंडर दिया या फिर किसे देना है इसकी जानकारी न तो परिषद में आई और न ही एमआईसी में रखी गई। ठेकेदार के साथ स्मार्ट सिटी कैसे सीधे तौर पर एग्रीमेंट कर सकती है।
नगर निगम एक्ट में प्रावधान है कि निर्वाचित पार्षदों में से ३/४ पार्षद निगमायुक्त के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं। इस पर एक्ट की धारा ५४ में प्रावधान है कि उसे तत्तकाल हटा दिए जाए लेकिन इस पर निर्णय शासन द्वारा लिया जाएगा।