विशेष न्यायाधीश रामजी गुप्ता ने इस आदेश के साथ यह भी कहा कि राजस्व विभाग की अवसर सचिव किरण मिश्रा द्वारा बिना मनोयोग के अभियोजन स्वीकृति जारी की है इसका लाभ भी आरोपी को प्रदान किया गया है। इसलिए प्रमुख सचिव राजस्व भोपाल अवसर सचिव के खिलाफ भी कार्यवाही करें। इसके लिए उन्हें आदेश की कॉपी भेजे जाने के निर्देश भी दिए हैं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जांच अधिकारी उप पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र राय शर्मा व उप पुलिस अधीक्षक आरबी शर्मा ने जांच के दौरान आरोपी के सेवा संबंधी दस्तावेज प्राप्त नहीं किए। इस कारण आरोपी को दोषमुक्त किया गया।
अभियोजन सिद्ध नहीं कर सका आरोपी लोकसेवक है
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि लोकायुक्त पुलिस आरोपी सीताराम सेन के खिलाफ उसके कोटवार के पद पर लोकसेवक के रुप में अथवा लिपिक के पद पर लोक सेवक के रुप में पदस्थ होना प्रमाणित करने में असफल रहा है। लोकायुक्त पुलिस यह भी सिद्ध नहीं कर पाई कि आरोपी ने आवेदक जगन्नाथ सिंह से उसके पट्टे की जमीन का कब्जा लिखाने के लिए फाइल को तहसीलदार के समक्ष पेश करने के लिए रिश्वत मांगी और २४ मई १४ को पांच हजार रुपए की रिश्वत प्राप्त की।
दूसरी बार में पकड़ा गया था आरोपी को
२८ अप्रैल १४ को आवेदक जगन्नाथ सिंह ने एसपी लोकायुक्त को एक आवेदन दिया था कि उसने अपनी पट्टे की जमीन का कब्जा लिखाने के लिएआवेदन तहसील भितरवार में छह माह पूर्व दिया था। इसकी फाइल बाबू सीताराम के पास थी। वह इस फाइल को तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए छह हजार रुपए की मांग कर रहा है। जिसमें ५ हजार रुपए तहसीलदार के हैं और एक हजार रुपए उसके हैं। इस सूचना की तस्दीक के बाद ३० अप्रैल १४ को आरोपी को रिश्वत लेते हुए पकडऩे के लिए भितरवार पहुंचे, लेकिन आरोपी नहीं था। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी के खिलाफ रिश्वत मांगे जाने का मामला दर्ज कर लिया। २४ मई १४ को आरोपी द्वारा रिश्वत मांगे जाने पर फिर लोकायुक्त पुलिस भितरवार पहुंची और आरोपी को पांच हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। रिश्वत की राशि उसकी जेब से बरामद कर ली थी।