दशम अपर सत्र न्यायाधीश अशोक शर्मा ने आरोपियों को सजा सुनाते हुए कहा कि एेसे अपराधों की पुनरावृत्ति को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा बच्चों को जन्म देने वाली माताएं बच्चियों को अपहरण के डर से कन्या भ्रूण हत्या की ओर अग्रसर होंगी। इसलिए सभी आरोपीगण को कठोर दंड दिया जाता है। इसी न्यायालय से इन्ही आरोपियों को २० जून १९ को सजा सुनाई जा चुकी है। इसके अलावा इन आरोपी महिला व पुरुषों को एेसे दो अन्य मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है।
४० हजार रुपए में बेचा था अपहृत बालिका को
पडाव थाने के इंसपेक्टर संतोष सिंह ने २ जनवरी १७ को किसी अन्य बच्ची के अपहरण के मामले में गिरफ्तार लक्ष्मीबाई से जब पूछताछ की तो उसने बताया कि उसने रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म क्रमांक एक के बाहर से शाम पांच बजे इस बालिका का अपहरण किया था। लक्ष्मीबाई के लडक़े राजू और राजेश, रामनाथ पाल व राममिलन ने उसे अल्साबाई कंजर को ४० हजार रुपए में बेच दिया था।
बेटी ने पहचाना था मां को
लक्ष्मीबाई द्वारा इस नाबालिग बच्ची को बेचे जाने के बाद इसे वैश्यावृत्ति के लिए खरीदने वाली अल्साबाई कंजर ने इसका मुंडन करा दिया था। इन बच्चियों को इतना प्रताडि़त किया जाता था कि वे जबर्दस्त तरीके से डरी हुईं थीं। पुलिस ने लक्ष्मीबाई की निशानदेही पर जब अल्साबाई के घर से इस बच्ची को बरामद किया और इसकी मां को इस बच्ची को दिखाया गया तो मां तो इस बच्ची की दशा को देखकर उसे नहीं पहचान पाई थी लेकिन बेटी ने मां को पहचानते हुए उसे गले लगा लिया था। पुलिस ने बच्ची और अल्सा बाई डीएनए भी कराया था। जिसमें उनका कोई जैविक संबंध नहीं पाया गया।
लक्ष्मीबाई कुशवाह और अन्य के खिलाफ इसी तरह का एक अन्य मामला जो कि अवयस्क बालिका के अपहरण व उसे बेचने से संबंधित है अन्य न्यायालय में लंबित है।
नाबालिग बालिकाओं का अपहरण करने वाली गैंग की सरगना लक्ष्मीबाई कुशवाह पत्नी चंदन सिंह कुशवाह, निवासी जवाहर कॉलोनी डबरा उम्र ५२ साल, अल्सा बाई कंजर पत्नी जयपाल कंजन उम्र ३७ साल निवासी रामनगर डेरा होमगार्ड कार्यालय के पीछे प्रकाश नगर दतिया, राजू पुत्र चंदन सिंह कुशवाह २८ साल, डबरा, राजेश पुत्र चंदन सिंह आयु २४ साल, निावसी डबरा, रामनाथ पाल उम्र ६२ साल निवासी गिजोर्रा, राममिलन कंजर उम्र ५७ साल गिजोर्रा ।
सभी आरोपीगण को भादसं की धारा ३७०(४) के अपराध में दस-दस साल के सश्रम कारावास, इसके अलावा आरोपीगण को धारा ३६६ए व ३७२ तथा ३७३ के अपराध में सात-सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। लक्ष्मीबाई पर नौ हजार का जुर्माना तथा अन्य पर सात-सात हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया है।
टेंपो चालक की सतर्कता से पकड़ी गई थी सरगना
लक्ष्मीबाई ने एक बच्ची का सांई मंदिर से उस समय अपहरण कर लिया था जब वह मां के साथ मंदिर आई थी। लक्ष्मीबाई उसे टेंपो में लेकर बाड़े की ओर जा रही थी, उस बच्ची के रोने पर तथा लक्ष्मीबाई के चुप कराने के तरीके से टेम्पो चालक को संदेह हुआ था और उसने टेंपो थाने के पास ले जाकर खड़ी कर पुलिस को सूचना दी थी, तब टेम्पो चालक की सजगता से बच्चियों को चुराने वाली लक्ष्मीबाई पकड़ी गई थी। पत्रिका ने इस टेम्पो चालक को सम्मानित भी किया था।