scriptधोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक | court order | Patrika News

धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक

locationग्वालियरPublished: Jan 17, 2020 08:56:33 pm

-एकलपीठ के आदेश के खिलाफ की गई अपील पर युगलपीठ का आदेश, मामला किसान की जमीन को बेचे जाने का

धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक

धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक,धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक,धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर के आदेश पर रोक

ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने किसान साथ की गई धोखाधड़ी के मामले में एकलपीठ द्वारा दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है। एकलपीठ ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा इक्कीसवीं सदी गृह निर्माण सहकारी समिति के अध्यक्ष बालमुकुंद शर्मा के साथ मिलीभगत कर महाराजपुरा आवासीय योजना में धोखाधड़ी कर किसान की जमीन लिए जाने के मामले में लोकायुक्त पुलिस को एफआईआर के निर्देश दिए थे।
ग्वालियर विकास प्राधिकरण के अधिवक्ता राघवेन्द्र दीक्षित के माध्यम से यह अपील प्रस्तुत की गई, जिसमें एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाए जाने का निवेदन किया गया। न्यायालय ने प्राधिकरण के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी। जिस जमीन को लेकर एकलपीठ ने आदेश दिया है उस पर यथास्थिति के आदेश दिए गए हैं।
एकल पीठ ने एफआईआर के आदेश सहकारी समिति के अध्यक्ष बालमुकुंद शर्मा गदाईपुरा ग्वालियर द्वारा प्रस्तुत याचिका का अंतिम रुप से निराकरण करते हुए दिए थे। जिसमें एसपी लोकायुक्त को निर्देश दिए थे कि इस मामले की जांच कर इस अवैध गतिविधि में जो भी अधिकारी व कर्मचारी शामिल है, उसका पता लगाकर उनपर अभियोजन की कार्रवाई की जाए। इस मामले में जीडीए अधिकारियों की भूमिका को भी देखा जाए। न्यायालय ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस इस मामले की बिना किसी पूर्वाग्रह के स्वतंत्र रुप से जांच करे। आदेश की एक प्रति सीईओ जीडीए को भी भेजे जाने के निर्देश दिए गए थे।
यह है मामला
इक्कीसबी सदी गृह निर्माण सहकारी समिति ने एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी। उसकी ओर से तर्क दिया गया कि मऊ के किसान कमल सिंह से समिति ने२४ दिसंबर 1997 में सर्वे क्रमांक ३८८ की 20 बीघा ६ बिस्वा जमीन जो कि मऊ में है उसका एग्रीमेंट किया । इस एग्रीमेंट के चार दिन बाद २८ दिसंबर ९७ को जीडीए व जमीन स्वामी से त्रिपक्षीय समझौता कर लिया गया। त्रिपक्षीय एग्रीमेंट में तय हुआ कि जीडीए जो जमीन विकसित करेगी, उसके 25 फीसदी रिहायशी प्लाट समिति को देगी, लेकिन जीडीए ने समिति को प्लाट न देते हुए किसान को दे दिए। इसलिए प्लाट दिलाए जाएं। इसके अलावा समिति ने किसान को अतिरिक्त पैसा भी दिया है, लेकिन समिति को एग्रीमेंट के अनुसार प्लाट नहीं दिए गए। लेकिन जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए, उसके आधार पर हाईकोर्ट नें पाया कि एक गरीब किसान की जमीन हड़पने की साजिश की गई है। उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार सहकारी समितियां को निर्देश दिए थे कि वे याचिकाकर्ता सोसायटी के संविधान और कामकाज की विस्तृत जांच करें।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो