न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद भी अस्पताल में डॉक्टरों के उपस्थित नहीं होने तथा उन्हें बुलवाए जाने के बाद भी उसका कोई जवाब नहीं मिलने को न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखे जाने के निर्देश भी दिए हैं।
शाम को 24 घंटे होने से पहले नवीन शर्मा को न्यायालय में पेश करना जरूरी होने पर न्यायालय ने डॉक्टरों से पूछा था कि क्या उसे न्यायालय में पेश किया जा सकता है। इस पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से बताया गया कि आरोपी की अभी स्थिति ऐसी नहीं है कि उसे न्यायालय में पेश किया जा सके। डॉक्टरों की इस रिपोर्ट पर न्यायालय ने सभी पक्षों को निर्देश दिए कि आरोपी के पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा पर 28 अक्टूबर की शाम को छह बजे अस्पताल में ही निर्णय लिया जाएगा। न्यायालय की इस सूचना पर थाना प्रभारी तो अस्पताल पहुंच गए थे एवं आरोपी के लिए लीगल एड से एक अधिवक्ता उपलब्ध कराया गया तथा शासन की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी गोपाल सिंह सिकरवार उपस्थित थे।
डॉक्टर को बुलवाते रहे
जेएमएफसी एमएनएच रजवी शाम को छह बजे अस्पताल पहुंच गए थे। पूर्व में दी गई सूचना के बावजूद यहां कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। वहां उपस्थित जूनियर डॉक्टरों से कहा गया कि वे आरोपी का उपचार कर रहे डॉक्टर को बुलवाएं। लेकिन वह नहीं आए। इसके बाद विभागाध्यक्ष डॉ समीर गुप्ता को फोन लगाया गया तो उन्होंने कहा कि वे किसी को भेजते हैं। इस प्रकार यहां न्यायालय को डेढ घंटे तक इंतजार करना पड़ा। बाद मे न्यायालय ने पुलिस के आवेदन पर आरोपी को 9 नवंबर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में दिए जाने के आदेश दिए।