विशेष न्यायाधीश महेन्द्र सैनी ने कहा, खात्मा रिपोर्ट में किसी स्वतंत्र गवाह के नहीं मिलने का हवाला दिया गया है, जबकि एफआईआर में वाहन में तोडफ़ोड़ कर क्षति पहुंचाए जाने का स्पष्ट उल्लेख है। इस घटना के प्रथम सूचनाकर्ता ने संबंधित वाहन के सरकारी होने से इनकार किया है, जबकि इस वाहन को अधिग्रहित करने का कोई स्पष्ट कथन नहीं है।
वाहन मालिक से यह भी नहीं पूछा गया कि उसे कौन चला रहा था। घटना के समय चालक की मौजूदगी और उसके वाहन को नुकसान पहुंचाएं जाने यह संभव है कि वह जानता हो कि वाहन में तोडफ़ोड़ किसने की है?
तोमर सहित 250 लोगों पर दर्ज थी एफआईआर
यह घटना 3 अगस्त 2018 की है, जब प्रद्युम्न सिंह तोमर ने उनके विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरणों के खिलाफ रेल रोको आंदोलन की घोषणा की थी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं ही। तब तोमर अपने कार्यकर्ताओं के साथ राजा मानसिंह प्रतिमा के पास सडक़ पर बैठ गए।
यहां से जब कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन की तरफ जाने लगे तो पुलिस ने इनको रोका। इसपर धक्का-मुक्की होने पर आवश्यक बल प्रयोग किया गया। इस दौरान आंसू गैस के गोले छोडक़र भीड़ को तितर-बितर किया।
इस बीच कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया और शासकीय वाहन की लाइट, साइड ग्लास आदि तोडक़र क्षति पहुंचाई। तीन पुलिसकर्मी चोटिल हुए। इसके बाद पुलिस ने प्रद्युम्न सिंह तोमर, पप्पूसिंह, रोहित सिंह परिहार व अन्य करीब 250-300 महिला-पुरूष उपद्रवियों के विरूद्व अपराध पंजीबद्ध किया था।