शहर में लगभग 15 हजार गोवंश हैं, जो कि विभिन्न क्षेत्रों में सडक़ों पर घूम रही हैं। इन्हें पकडकऱ खिडक़ में भेजना होता है, लेकिन शहर में जो निगम की दो गोशाला हैं उसमें इतनी व्यवस्था ही नहीं है कि इन्हें वहां भेजा जा सके। यही कारण है कि निगम द्वारा इन्हें पकड़ा ही नहीं जाता है, जिससे लोग दुघर्टनाग्रस्त हो जाते हैं। इसको लेकर ही बरई के नौनंदा ताल में निगम ने इन गायों के लिए व्यवस्था करने की योजना बनाई है। निगम अधिकारियों ने इसका निरीक्षण किया है। दरअसल नौनंदा ताल 148 बीघा में है और यह जमीन शासकीय है। यह जंगल के बीच में है और चारों तरफ हरियाली है। ताल का पानी लोग निकाल देेते हैं और इस जमीन पर खेती करते हैं।
चारे की भी हो जाएगी व्यवस्था
यहां की भौगोलिग स्थिति बहुत ही अच्छी है। यह जगह जंगल के बीच में है और आसपास पहाड़ी है, जिससे जानवर यहां स्वच्छंद रूप से विचरण कर सकेंगे और खास बात है कि चारे की व्यवस्था भी यहां हो जाएगी। यहां सिर्फ फेंसिंग की व्यवस्था करना पड़ेगी। पानी की भी यहां पर पर्याप्त व्यवस्था है, जिससे गर्मियों में कोई समस्या नहीं रहेगी। जानवरों के लिए यह जगह बिल्कुल उपयुक्त रहेगी। इसको लेकर निगम ने कलेक्टर के पास प्रस्ताव बनाकर भेजा है, जिसमें कहा है कि यहां पर गोअभ्यारण्य बनाया जा सकता है, जिसमें शहर में जो सडक़ों पर आवारा गोवंश घूम रहे हैं उन्हें रखा जा सकता है।
बरई में नौनंदा ताल है यहां पर बारिश का पानी जमा होता है, जिसे ग्रामीण निकाल देते हैं और खेती करते हैं। यह जमीन शासकीय है यहां पर गोअभ्यारण्य बनाने के लिए प्रस्ताव प्रशासन के पास भेजा है। इससे शहर में घूम रहे आवारा जानवरों को यहां पर छोड़ा जा सकता है।
केशव सिंह, नोडल अधिकारी गौशाला