जेल में बंद रसूखदार बंदी तो पर्ची पर पसंदीदा पुलिसकर्मियों के नाम पुलिसलाइन में पहुंचाते रहे हैं, जो पुलिसकर्मी बंदी तय करते उनकी ही ड्यूटी पेशी में लगती भी रही है। लाइन के रेकॉर्ड में पूरा चि_ा दर्ज है, कि रसूखदार बंदियों के साथ वही पुलिसकर्मी पेशी पर जाते रहे हैं। रोहित सेठी को भी चार महीने में सात बार देहरादून पेशी पर भेजा गया था। इसमें हवलदार त्र्यंबक राव सहित सिपाहियों की टीम उसकी पंसदीदा थी। इसलिए ज्यादातर इन पुलिसकर्मियों को रोहित के साथ पेशी पर भेजा जाता था।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस सुविधा के एवज में बंदी काफी पैसा भी खर्च करते हैं क्योंकि जिन पुलिसकर्मियों से उनकी सेटिंग बैठ जाती है वह पेशी के बहाने पूरी छूट मुहैया कराते है। इन बंदियोंं को खुटका रहता है कि अगर पुलिसकर्मियों को बदला गया तो वह पेशी के दौरान खाने पीने से लेकर मौज मस्ती में अडंगा लगाएंगे। इसलिए जेल के अंदर से पुलिस लाइन तक सेटिंग जमाकर मन माफिक पुलिसकर्मियों को पेशी पर तैनात कराते रहे हैं। रोहित सेठी ने भी जेल के अंदर और बाहर नेटवर्क जमा लिया था। पेशी पर ले जाने वाले पुलिसकर्मियों से उसने ऐसी टयूनिंग जमाई थी कि पेशी पर बंदी को लाने ले जाने के सभी कायदों को ताक पर रखकर पुलिसकर्मियों ने उसे बेधडक़ अय्याशी कराई।
पेशी के रेकॉर्ड में मिलेंगे सबूत
पुलिस लाइन में पदस्थ पुलिसकर्मी कहते हैं कि पुलिस लाइन के रेकॉर्ड को खंगाला जाए तो सारा चिटठा सामने आएगा। व्यापमं फर्जीवाड़े और दूसरे अपराधों में पकड़े गए रसूखदार बंदियों के साथ पेशी पर कब और कौन पुलिसकर्मी कितनी बार पेशी पर गए हैं सारा लेखा जोखा पुलिस लाइन में दर्ज है। ऐसे बंदियों की पेशी को लेकर पुलिसकर्मियों में अक्सर कहासुनी तक होती रही हैं।
जांच कराई जाएगी
जेल में बंद इंदौर में हत्या के आरोपी को पेशी पर ले जाने के पूरे घटनाक्रम की जांच कराई जाएगी। इसमें ओर कौन लोग शामिल है उन्हें भी सामने लाया जाएगा जो दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा
नवनीत भसीन, एसपी ग्वालियर