मीट में पुलिस अफसरों ने कहा कि अपराधी बॉर्डर लाइन का फायदा उठाकर नशा, अवैध हथियारों की तस्करी करते हैं, इस पर कंट्रोल के लिए पड़ोसी जिले के अफसरों सहित बॉर्डर से लगने वाले थानों के बीच तालमेल जरूरी है, इसलिए तय हुआ कि बॉर्डर लाइन से सटे दोनों तरफ के थानों का स्टाफ एक दूसरे से संपर्क में रहेगा, इसके अलावा गश्त मिलान भी होगा। बॉर्डर से सटे थानों का फोर्स सप्ताह में एक बार रात्रि गश्त में एक दूसरे से संपर्क कर बॉर्डर लाइन पर मुलाकात करेगा।
-तीनों राज्यों की पुलिस व्हाटस ऐप ग्रुप बनाएगी। ग्वालियर, चंबल, भरतपुर, झांसी रेंज के आइजी, एसपी और बॉर्डर के थानों का फोर्स संपर्क में रहे, इसलिए ग्रुप बनाया जाएगा। इस पर पुलिसकर्मी सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे।
– जेल में बंद अपराधी अगर पड़ोसी राज्य का है तो उसकी रिहाई की सूचना का ई-मेल और व्हाटस ऐप से आदान-प्रदान किया जाएगा, जिससे उसके गृहनगर की पुलिस उस पर नजर रख सकेगी।
– पड़ोसी राज्य में दुबके अपराधियों को पकडऩे के लिए दबिश में परेशानी नहीं हो, इसलिए बॉर्डर लाइन से सटे तीनों जिलों ने एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है। बाहर से दबिश में आने वाली पुलिस पहले उस जिले के एसपी और नोडल अफसर को सूचना देगी। नोडल अफसर बाहरी पुलिस को लोकल फोर्स मुहैया कराएंगे।
एसपी ग्वालियर नवनीत भसीन ने सुझाव दिया कि पड़ोसी पुलिस से दोस्ताना संबंध के लिए काम के अलावा खेलकूद भी होना चाहिए। अभी तक पुलिस महकमे में अंतर जिला खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं, इसका दायरा बढ़ाना चाहिए। यह कम्पटीशन राज्य स्तर पर होगा तो दोनों राज्यों की पुलिस से तालमेल बढ़ेगा।
अपराधी क्राइम करने के बाद दूसरे राज्य में जाकर छिपते हैं, उन्हें वहां पकड़ा जा सके, इसके अलावा नशे और अवैध हथियारों की तस्करी पर कंट्रोल के लिए बॉर्डर लाइन की सुरक्षा को कसा जाएगा। सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल होगा। इसके साथ ही मीट में क्राइम कंट्रोल के लिए कई अन्य पहलुओं पर प्लानिंग हुई।
अंशुमन यादव, आइजी ग्वालियर रेंज