किसान कर रहे हैं खेती बांध की जमीन पर आसपास के किसानों ने कब्जा कर लिया है और लगातार खेती कर रहे हैं। वह बारिश के समय जानबूझकर बांध के वॉल्व खराब कर देते हैं, जिससे इसमें से पानी एक लेवल के बाद बाहर निकल जाता है। जल संसाधन, नगर निगम और प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत का परिणाम है कि 12.80 मिलियन घनमीटर क्षमता वाले इस बांध में अब बमुश्किल दो-तीन मिलियन घनमीटर पानी ही भरता है।
ऐसे भर सकता है बांध : जौरासी के जंगलों से बहकर आने वाला पानी अभी भी बांध तक पहुंचता है। बारिश से पहले अगर बांध का वॉल्व सही कर दिया जाए तो इसमें पानी टिका रहेगा। किसानों से वॉल्व को बचाने के लिए यहां सुरक्षा कर्मी तैनात किए जा सकते हैं। अगर दो महीने तक लगातार वॉल्व बंद रहे तो बारिश के पानी और वर्तमान सोर्स से ही यह बांध 60 फीसदी तक भर सकता है। वॉल्व को पूरे वर्ष बंद रखा जाए तो इसमें पानी खत्म नहीं होगा।
पेयजल की बनी थी योजना रमौआ बांध से मुरार की 2 लाख आबादी तक पानी पहुंचाने की योजना नगर निगम ने बनाई थी। इसके लिए हरसी नहर से पानी लाने का प्लान बनाया गया था। इसके लिए भोपाल में बैठक भी हो चुकी है, जिसमें तत्कालीन कलेक्टर पी नरहरि की मौजूदगी में हरसी नहर से पानी लाने के प्लान को नकार दिया गया था।