पिता ने बनाईं कई रचनाएं
गिरिधर चांद ने बताया कि मेरे पिता नारायण प्रसाद नृत्याचार्य ने कई रचनाएं बनाई, जिनमें कालियादमन, गोवर्धन लीला, माखन चोरी, प्रमलू अंग के तोड़े, सोलह श्रंगार, सोलह अंग की रचना आदि शामिल थी। वह एक आंख से आंसू और दूसरी में मुस्कान दिखाने में सक्षम थे। मेरे दादा देवपरि के जोड़े के नाम से मशहूर थे। पिता के बड़े भाई हरिप्रसाद डांस करते थे, तो उनके पैर एक बिलांग ऊपर रहते थे। उनकी स्पीड इतनी अधिक रहती थी कि वह खाली भाग प्रस्तुति के दौरान दिखता ही रहता था।
व्याख्यान एवं कार्यशाला आज
कथक नृत्य विभाग द्वारा शुक्रवार को सुबह 11.30 बजे से व्याख्यान एवं कार्यशाला का आयोजन होगा। इस अवसर पर जयपुर घराने के कथक कलाकार चरण गिरिधर चांद छात्र-छात्राओं को जयपुर घराने के बारे में बताएंगे।