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दशहरा 25 को, इस बार नहीं जलेंगे रावण के बड़े पुतले

locationग्वालियरPublished: Oct 24, 2020 11:34:52 pm

Submitted by:

Narendra Kuiya

– कॉलोनी, मोहल्लों में पुतले जलाने की पूरी हुई तैयारियां

दशहरा 25 को, इस बार नहीं जलेंगे रावण के बड़े पुतले

छप्परवाला पुल पर बिकने के लिए रखे गए रावण के पुतले।

ग्वालियर. असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी यानी दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। कोविड-19 के चलते शहर में होने वाले छत्री मैदान सहित रावण के पुतलों के बड़े दहन इस बार नहीं होंगे। इसके चलते अधिकांश जगहों पर छोटे रावण के पुतले जलाए जाएंगे। इसके लिए शनिवार को कॉलोनी, मोहल्लों में पुतले जलाने की तैयारियां की गईं। क्षत्रिय महासभा का दशहरा मिलन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित गौरव उपाध्याय के अनुसार अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार दशहरा 25 अक्टूबर को मनाया जाएगाा। दशमी तिथि का प्रारंभ इस बार 25 अक्टूबर को सुबह 7.41 पर होगा तथा दशमी तिथि का समापन 26 अक्टूबर को सुबह 9 बजे होगा। दशहरा मध्यान्ह (दोपहर) में विजय मुहूर्त में मनाया जाने वाला त्योहार है, इस कारण से दशहरा 25 अक्टूबर को ही मनाना उचित है।
यहां होंगे कार्यक्रम
– दशहरा उत्सव समिति थाटीपुर की ओर से रविवार शाम 6 बजे 10 फीट के रावण के पुतले का दहन किया जाएगा।
– लोको युवा समिति की ओर से इस बार रावण के पुतले का दहन न करते हुए बच्चों को उपहार बांटे जाएंगे।
– दीनदयाल नगर चेतना मंच की ओर से पुतला दहन की जगह दोपहर दो बजे से बच्चों को राम, लक्ष्मण और सीता के रूप में पूजने का कार्यक्रम होगा।
– हठयोगी सद्गुरु अण्णा महाराज मठ में रविवार को अण्णा महाराज का जन्मोत्सव व शमी पूजन का आयोजन होगा।
– हुजरात पुल स्थित कुंबर बाबा मंदिर पर दशहरा पूजन एवं महाआरती दोपहर 1 से 3 बजे तक होगी।
नहीं होगा शमी पूजन
दशहरे के दिन सिंधिया राजघराने की परंपरानुसार शाम को शमी पूजन किया जाता है। प्रतिवर्ष मांडरे की माता के नीचे बने मैदान में होने वाला शमी पूजन कार्यक्रम इस बार नहीं होगा। कार्यक्रम से जुड़े बाल खांडे ने बताया कि अपरिहार्य कारणों के चलते इस बार शमी पूजन नहीं हो सकेगा। उन्होंने आगे बताया कि सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में मौजूद नहीं है।
ये भी करते हैं शहरवासी
– विजयादशमी के दिन सुबह के समय नीलकंठ के दर्शन करना शुभ माना जाता है। भगवान श्रीराम नीलकंठ पक्षी केे दर्शन करके रावण से युद्ध करने गए थे। इसके चलते उन्हें विजयश्री प्राप्त हुई थी। इसी वजह से दशहरे वाले दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से पूरा वर्ष अच्छा जाता है।
– शहरवासी इस दिन वाहनों की धुलाई भी करवाते हैं।
– विजयादशी के दिन एक-दूसरे को पान खिलाने का भी रिवाज है। इसके चलते पान की भी काफी बिक्री होती है।
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