हेपेटाइटिस सी को दी मात लगभग 4 साल पहले मैं हेपेटाइटिस सी से पीड़ित था। सर गंगाराम हॉस्पिटल में मेरा ट्रीटमेंट चल रहा था, लेकिन बचने की उम्मीद न के बराबर थी। मैं भी अंदर से टूट चुका था। तब मेरी बेटी समृद्धि पास आई और बोली पापा मेरा टाइफाइड ठीक हुआ है। आप भी ठीक हो जाओगे। उसकी इस बात ने मुझे मोटिवेट किया और इलाज के बाद मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
बेटियों ने संभाला मेडिकल वर्ष 2012 में मैं छत से गिर गया था। इस पर मेरी बैक बोन क्रेक हो गई थी। उस समय मेरा मेडिकल का बिजनेस था। मैं हॉस्पिटल में लगभग एक महीने एडमिट रहा। उस समय मेरी बेटियां श्रेयांशी और प्रज्ञांसी सहारा बनी। उन्होंने मेडिकल संभाला, जिससे इलाज में काफी पैसाल लगने के बाद भी फाइनेंशियल क्राइसेस नहीं आई।
बेटी की बात ने किया मोटिवेट कुछ समय पहले मैं फाइनेंशियल क्राइसेस से जूझ रहा था। परिवार में भी विवाद चल रहा था। इससे मेरा बीपी 230 तक पहुंच गया। मैं अनकांसियस हो गया था। मेरी बेटी उस समय रांची में पढ़ाई कर रही थी। उसने मुझसे बात की और कहा कि पापा आप फिक्र मत करो। हम दो बेटियां आपकी सब कुछ ठीक कर देंगे। उसकी बात ने मुझे मोटिवेट किया और मैं नॉर्मल हो गया।