राष्ट्रीय चंबल वन्य जीव अभयारण्य की 207 हेक्टेयर भूमि का होगा डी-नोटिफिकेशन
ग्वालियरPublished: Sep 26, 2022 06:37:50 pm
अभयारण्य क्षेत्र में पार्वती और चंबल नदियां आती हैं, जहां श्योपुर व मुरैना जिले में रेत खदान अभी तक स्वीकृत नहीं है। सामान्यत: इस क्षेत्र में भिंड जिले से सिंध नदी क्षेत्र में स्वीकृत खदान से रेत का परिवहन होता है। डी-नोटिफिकेशन होने से रेत के अवैध परिवहन पर भी अंकुश लगेगा, वहीं संरक्षित क्षेत्र के विभिन्न उत्पादों पर चार लाख से अधिक स्थानीय आबादी प्रत्यक्ष रूप से निर्भर करती है। स्थानीय स्तर पर ही रेत खनन होने से रोजगार में वृद्धि होगी।


राष्ट्रीय चंबल वन्य जीव अभयारण्य की 207 हेक्टेयर भूमि का होगा डी-नोटिफिकेशन
ग्वालियर. राष्ट्रीय चंबल वन्यजीव अभयारण्य की 207.05 हेक्टेयर भूमि को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने डी-नोटिफिकेशन करने की अनुसंशा का निर्णय लिया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से यह डी-नोटिफिकेशन होने जा रहा है। डी-नोटिफिकेशन के बाद यह एरिया अभयारण्य क्षेत्र के बाहर हो जाएगा, जिससे वहां से रेत की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर ही होगी व इस व्यवसाय में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। साथ ही स्थानीय निर्माण व विकास कार्यों के लिए रेत आसानी से सस्ते दाम पर उपलब्ध होगी।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने डी-नोटिफिकेशन किए जाने के संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव से आग्रह किया था। इसका प्रस्ताव 29 जुलाई-22 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री यादव की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थायी समिति की 69वीं बैठक में चर्चा की गई थी। विचार-विमर्श के बाद, स्थायी समिति ने अभयारण्य से निम्नानुसार 207.05 हेक्टेयर क्षेत्र को बाहर करने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है। इसमें बड़ोदिया बिंदी (रेंज-सबलगढ़, जिला श्योपुर) का 9.49 हेक्टेयर, बरवासिन (रेंज-देवरी, जिला मुरैना) में 118.66 हेक्टेयर तथा राजघाट (पीपाराई) (रेंज- देवरी, जौरा, जिला-मुरैना) में 78.90 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।