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खेत में 11 केवी लाइन के टूटे तार से करंट लगने से हुई थी मौत, कोर्ट ने बिजली कंपनी को माना जिम्मेदार

locationग्वालियरPublished: Sep 30, 2018 07:58:11 pm

Submitted by:

Rahul rai

मृतक के पिता को ढाई लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करने के आदेश दिए हैं। कंपनी को दावा दिनांक से भुगतान दिनांक तक 7प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करना होगा।

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ग्वालियर। अपर जिला न्यायाधीश मुकेश रावत ने 11 केवी लाइन के टूटे हुए तार से लगे करंट के कारण हुई रवि की मौत के लिए बिजली कंपनी को जिम्मेदार माना है। इसके लिए मृतक के पिता को ढाई लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करने के आदेश दिए हैं। कंपनी को दावा दिनांक से भुगतान दिनांक तक 7प्रतिशत की दर से ब्याज भी अदा करना होगा।
ग्राम पारसेन निवासी प्रकाश सिंह गुर्जर ने मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष, सहप्रबंधक निदेशक गोविंदपुरा भोपाल, कंपनी के मुख्य यंत्री मोतीमहल, कार्यपालन यंत्री मेहगांव, असिस्टेंट इंजीनियर मेहगांव के खिलाफ वाद प्रस्तुत करते हुए पांच लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाने की मांग की थी।
आवेदन में कहा गया कि वादी ग्राम पारसेन तहसील व जिला ग्वालियर का निवासी होकर खेती मजदूरी का कार्य करता है। इसमें ज्यादा आमदनी नहीं होने से वह मुश्किल से घर का भरण पोषण कर पाता है। उसका पुत्र रवि अपनी बहन के यहां शिक्षा प्राप्त कर रहा था।
15 नवंबर 08 को सुबह आठ बजे रवि बस स्टैंड कनाथर की ओर राधाकृष्ण मंदिर के खेत में होकर जा रहा था, उस समय हाई वोल्टेज लाइन का एक तार टूटकर उस खेत में लटक रहा था, जो उससे टकरा गया। इस कारण रवि की करंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई। इसकी रिपोर्ट ग्राम कनाथर के कोटवार ने थाना अमायन में 15 नवंबर 08 को की थी। मेडिकल में रिपोर्ट में रवि की मृत्यु बिजली के करंट से होना पाया गया।
आवेदन में कहा गया कि बिजली कंपनी द्वारा बिजली लाइनों की उचित देखरेख नहीं करने से इस प्रकार की घटनाएं होती हैं। बिजली कंपनी का कहना था कि यह आकस्मिक दुर्घटना है, इसके लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं है।
बिजली कंपनी की लापरवाही
न्यायालय ने आदेश में कहा कि घटना स्थल पर हाई वोल्टेज तार टूटा हुआ होना स्वमेव बिजली कंपनी की लापरवाही का द्योतक है। यह दर्शाता है कि लाइन का मेंटेनेंस उचित रूप से नहीं हुआ, इसी कारण उक्त 11 हजार वोल्ट करंट का तार खेत में लटका हुआ था। अदालत ने बिजली कंपनी की आपत्ति को निराधार पाते हुए अमान्य कर दिया एवं मृतक के पिता को ढाई लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए।

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