scriptDepression disease is increasing rapidly among youth, some are worried | युवाओं में तेजी से बढ़ रही डिप्रेशन की बीमारी, किसी को शादी की तो किसी को नौकरी की चिंता | Patrika News

युवाओं में तेजी से बढ़ रही डिप्रेशन की बीमारी, किसी को शादी की तो किसी को नौकरी की चिंता

locationग्वालियरPublished: Aug 27, 2023 08:09:03 pm

Submitted by:

Neeraj Chaturvedi

कोरोना काल के बाद ज्यादा बढऩे लगे डिप्रेशन के मामले

युवाओं में तेजी से बढ़ रही डिप्रेशन की बीमारी, किसी को शादी की तो किसी को नौकरी की चिंता
युवाओं में तेजी से बढ़ रही डिप्रेशन की बीमारी, किसी को शादी की तो किसी को नौकरी की चिंता
ग्वालियर. भागदौड़ भरी इस दुनिया में सबसे ज्यादा युवाओं में किसी न किसी रूप में तनाव हावी हो रहा है। इसके चलते युवाओं को समय से पहले ही कई बीमारियां घेर रही है। इसमें युवाओं में तनाव, अवसाद, उदासी जैसी परेशानी बढ़ती जा रही है। कहीं न कहीं उनका आत्मबल, मानसिक स्थिति कमजोर हो रही है। ऐसे मरीज इन दिनों अस्पतालों में पहुंच रहे है। हालात यह हो गए है कि जेएएच की ओपीडी में ही इन दिनों 80 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे है। जिसमें डिप्रेशन के 15 से 20 तक का इलाज हो रहा है। मानसिक तनाव और पढ़ाई का बोझ के चलते कई युवाओं में डिप्रेशन बढ़ा है। इसका एक बड़ा कारण यह सामने आया है कि अधिकांश माता पिता अपने बच्चे को मनमर्जी से पढ़ाई का प्रेशर डालते है।
इस तरह के आते है केस पैसे की कमी से जूझ रहे लोगों के साथ उदासीनता बढ़ जाती है। इसके साथ ही
अकेलापन भी बढ़ा कारण सामने आ रहा है। ऐसे भी कई मामले आ रहे जब किसी को हार्ट अटैक आ जाए तो वह डिप्रेशन आ जाता है। कई बार महिलाएं ऑपरेशन के बाद डिप्रेशन में आ जाती है। जिन महिलाओं को बच्चे की खुशी नहीं मिल पाती है। कुछ लोग कोरोना के बाद से अपनों को खोने के दुख से तो कई को व्यापार में नुक्सान से भी डिप्रेशन की शिकायत बढ़ गई है। 600 तक आते है हर महीने डिप्रेशन के मरीज
पिछले दो से तीन महीने से हर महीने 600 के आसपास ओपीडी में डिप्रेशन के मरीज सामने आ रहे है। जिसमें 35 वर्ष तक के युवा ज्यादा पहुंच रहे है। कोरोना काल के बाद इस तरह के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी आई है। जेएएच में जहां कोरोना से पहले महीने में दो सौ के आसपास मरीज आते थे। लेकिन अब हर दिन यह बढकऱ 15 से 20 हो गई है। इसका बड़ा कारण यह है कि कोरोना के बाद कई लोगों की नौकरी चली गई। वहीं कई की तो शादी ही छूट गई । इसका असर अभी तक उनके जीवन में देखने को मिल रहा है। यह रखे सावधानी
मानसिक रोगियों की विशेष निगरानी की जरुरत होती है। अगर किसी की दवाएं चल रही है तो उन्हे लगातार दवाएं देते रहे। नशा करने वालों को नशा करने से रोके। मानसिक रोगियों को मोबाइल का इस्तेमाल कम ही करने दे। ऐसे लोगों की सबसे ज्यादा देखरेख परिवार के लोगों को करना चाहिए। .......
सायकाइट्रिस्ट क्या बोले... अगर किसी को कोई लक्षण दिख रहे है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए। कभी यह डिप्रेशन बढ़ जाता है। अगर मरीज नशा ले रहा है तो उसका नशा बंद कर दे। घर में एक से दूसरे को भी डिप्रेशन होता है। काउंसिलिंग कराकर दवाएं शुरु कराई जाए।
डॉ प्रियंका शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, जीआरएमसी------
युवाओं को यह समझना चाहिए कि एक उद्देश्य लेकर चले। कक्षा 10 से दिशाा और दशा तय करना चाहिए। उस पर गंभीरता से काम करना चाहिए। ऐसे बच्चे अब 20 प्रतिशत ही होते है। ऐसे में बच्चों को माता पिता का भी नजरिया ऐसा होना चाहिए। कि ज्यादा दबाव नहीं बनाया जाए। डॉ कमलेश कुमार उदेनिया ,सायकाइट्रिस्ट जीआरएमसी
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