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उन्हें आता देखकर बाइक सवार लुटेरा अलर्ट हो गया। वह उसके बाजू में आए तो उसने मोटरसाइकिल अड़ा कर रास्ता रोक लिया। तीन लुटेरों ने उन्हें लाठियों से पीटा। चतुर्वेदी उनके शिकंजे से निकल कर खेतों की तरफ भागे। वहां कुछ पत्थर पड़े थे उन्हें उठाकर लुटेरों पर फेंका, मदद के लिए जोर से चिल्लाते रहे। पकड़े जाने के डर से लुटेरे धमकी देकर भाग गए। हरिवल्लभ के साथ वारदात की जानकारी मिलने पर उनके सहकर्मी भी लालघाटी पहुंच गए। फिर थाने आकर पुलिस को घटना बताई। यह भी पढ़ें
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9 महीने बाद फिर घटनाकरीब 9 महीने पहले हरिवल्लभ चतुर्वेदी पर लखनपुरा के जंगल में पत्थर माफियाओं ने फायरिंग की थी। इसमें डिप्टी रेंजर चतुर्वेदी सहित फारेस्ट गार्ड हरीशचंद चौहान को गोलियां मिलीं थीं। उस वक्त डिप्टी रेंजर और गार्ड टीम के साथ पत्थर चोरों को पकडऩे गए थे। पत्थर चोरों का पीछा कर रही टीम को पत्थर चोरों के मददगारों ने छीकरी के जंगल में घेरकर गोलियां चलाई थीं। इसमें चतुर्वेदी और गार्ड चौहान जख्मी हुए थे।