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स्मार्ट सिटी और नगर निगम में फंसा स्वर्ण रेखा का विकास

locationग्वालियरPublished: Jul 05, 2020 06:21:52 pm

स्वर्ण रेखा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन स्वर्ण रेखा नाले से नदी नहीं बन पाई। यहां साफ पानी तो दूर की बात है सीवर का पानी तक नहीं रोका गया, वर्तमान में भी सीवर का पानी भरा हुआ है

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स्मार्ट सिटी और नगर निगम में फंसा स्वर्ण रेखा का विकास

ग्वालियर. स्वर्ण रेखा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन स्वर्ण रेखा नाले से नदी नहीं बन पाई। यहां साफ पानी तो दूर की बात है सीवर का पानी तक नहीं रोका गया, वर्तमान में भी सीवर का पानी भरा हुआ है। दिसंबर में स्मार्ट सिटी ने कहा कि, 40 करोड़ में स्मार्ट सिटी स्वर्ण रेखा को संवारेगी, लेकिन 6 महीने बाद भी न तो निगम और न ही स्मार्ट सिटी स्वर्ण रेखा को लेकर कोई प्रोजेक्ट बना सकी।

140 करोड़ से अधिक खर्च
स्वर्ण रेखा को संवारने एवं इसमें साफ पानी बहाने के नाम पर अभी तक विभिन्न विभागों द्वारा 140 करोड़ से अधिक का बजट खर्च किया गया है, लेकिन स्वर्ण रेखा के हालात में कोई बदलाव नहीं हो पाया। पहले भी सीवर का पानी बहता था और वर्तमान में भी यही स्थिति है।

लेआउट प्लान तक नहीं दे सका निगम, सीवर का कार्य तक पूरा नहीं
स्वर्ण रेखा को संवारने के लिए नए-नए प्रोजेक्ट तो बनाए जाते हैं, लेकिन इसकी जो मूल समस्या है उसको लेकर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया। सीवर का पानी स्वर्ण रेखा में बह रहा है इसे रोकने में निगम पूरी तरह से नाकाम है। आलम यह है कि सीवर लाइन डालने के लिए नगर निगम ठेकेदार को लेआउट प्लान तक नहीं दे सका है। तीन साल बाद भी स्थिति जस की तस है, जबकि इसको लेकर एक कमेटी भी बनी, लेकिन इसके बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया।

पूरे के बजाए आधे एरिया में करें विकास
स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग 11 दिसंबर को मोतीमहल में आयोजित की गई। यहां तत्कालीन सीईओ ने बोर्ड के समक्ष अन्य प्रस्तावों के साथ ही स्वर्ण रेखा को संवारने का प्रस्ताव रखा। बोर्ड के सदस्यों ने इस पर कहा कि पूरी स्वर्ण रेखा को लेकर प्रोजेक्ट बनाने के बजाए पहले फिजिबिलिटी जांच और 13 किमी के बजाए कम क्षेत्र को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहले चुनें और यदि वह ठीक रहे तो उसके बाद आगे के प्रोजेक्ट को शुरू किया जाए। इस पूरे मामले के बाद एक कमेटी गठित की गई, जिसमें नगर निगम, सिंचाई विभाग, पीएचई सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया। इस कमेटी को फिजिबिलिटी की रिपोर्ट सौंपना था इसके बाद ही स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन को निगम के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना था।
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