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4 करोड़ देने के बाद नहीं बस पाई लोहामंडी, 80 करोड़ लगाने के बाद भी खाली है माधव प्लाजा

locationग्वालियरPublished: Sep 24, 2018 10:23:20 am

Submitted by:

Gaurav Sen

4 करोड़ देने के बाद नहीं बस पाई लोहामंडी, 80 करोड़ लगाने के बाद भी खाली है माधव प्लाजा
 

development process under development in gwalior

4 करोड़ देने के बाद नहीं बस पाई लोहामंडी, 80 करोड़ लगाने के बाद भी खाली है माधव प्लाजा

ग्वालियर. शहर की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक विकास को जैसे ग्रहण लग गया है। पिछले कई वर्षों से नई जगह बसने की बाट जोह रहा लोहिया बाजार आज भी वहीं का वहीं है। नवीन लोहामंडी के लिए लोहा कारोबारी 4 करोड़ रुपए जमा करा चुके हैं पर अभी तक यह बस नहीं पाई।

वहीं तमाम प्रयासों के बाद भी दाल बाजार दूसरी जगह शिफ्ट नहीं हो सका है। इधर वर्षों पहले तैयार हो चुके 80 करोड़ से अधिक लागत के आधुनिकतम माधव प्लाजा में कारोबारी जाने को तैयार नहीं हैं। खास बात यह है कि इन तीनों मसलों से कहीं ना कहीं ग्वालियर विकास प्राधिकरण जुड़ा हुआ है। यदि ये तीनों अच्छे से बस जाते तो शायद शहर के विकास को भी चार चांद लग जाते। जीडीए की लेतलाली और शासन की बेरुखी के चलते ये तीनों आज तक लटके पड़े हैं।


नवीन लोहामंडी

योजना : यातायात का दबाव कम करने 2006 में ग्राम चिरवाई स्थानांतरित करने की योजना

अब तक क्या हुआ : नवीन लोहामंडी के लिए 270 लोहा व्यापारियों ने चार करोड़ रुपया जमा कराया था। जीडीए चाहता है कि मौजूदा दर पर रजिस्ट्री की जाए जबकि व्यापारी मार्च 2008 की दर की मांग रहे हैं। 2018 में केबिनेट ने फैसला 2007-08 की गाइडलाइन के मुताबिक राशि तय की लेकिन अभी अमल नहीं हुआ। वहीं एक किसान ने 14 बीघा पर हक जता कर सुप्रीम कोर्ट से केस जीत चुका है। अब 95 प्लॉट कम होकर 175 कारोबारियों को ही जगह मिल पाएगी।

यह होता विकास : लोहामंडी बस जाती तो लोहिया बाजार कारोबारियों को बड़े स्तर पर काम करने के लिए जगह मिल जाती। बहुत हद तक ट्रैफिक जाम से भी निजात मिल जाती।


दाल बाजार
योजना : भारी वाहनों के प्रवेश को कम करने जीडीए ने दाल बाजार को शिफ्ट करने की योजना बनाई थी।
अब तक क्या हुआ : 2008 में व्यापारियों को ट्रांसपोर्ट नगर के पीछे 60 बीघा जमीन दिखाई लेकिन खराब खराब सडक़ें देख व्यापारियों ने शिफ्ट होने से मना कर दिया। फिर शिवपुरी लिंक रोड पर नवीन लोहामंडी के सामने 40 बीघा जमीन कम होने पर वह भी पसंद नहीं आई। दिसंबर 2012 रक्कस टैंक के पास जमीन व 2018 में ट्रांसपोर्ट नगर के पीछे 22 बीघा जमीन पर बात हुई लेकिन कलेक्टर गाइडलाइन को लेकर कारोबारी तथा प्राधिकरण के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दाल बाजार के 650 रजिस्टर्ड कारोबारी के लिए गेट बंद बाजार में 22 बीघा जमीन पर 400 लोगों के लिए दुकानें बन सकती हैं।


यह होता विकास : दाल बाजार शिफ्ट होने से इंदरगंज, जयेंद्रगंज क्षेत्र के जाम से निजात मिल जाती। व्यापारियों के माल गोदाम ट्रांसपोर्ट नगर में होने से उनका समय भी बचता।


माधव प्लाजा
योजना : शहर के छोटे-बड़े कारोबारियों के लिए 2010 में रखी गई थी आधार शिला।
अब तक क्या हुआ: पशु चिकित्सालय की जमीन पर एक लाख वर्ग फीट में प्लाजा का निर्माण 12 जुलाई 2010 को शुरू हुआ था। चार मंजिला इमारत के निर्माण में जीडीए ने करीब 80 करोड़ रुपए खर्च किए। यहां 587 दुकानों व दफ्तरों बनाए हैं। सराफा कारोबारियों के लिए यहां अलग से जगह रखी थी। व्यापारिक माहौल नहीं बनने के कारण कई दुकानदार अपनी दुकानें छोड़ चुके हैं। जीडीए दुकानें अब किराए पर भी देना चाहता है लेकि उसे भी लेने कोई सामने नहीं आ रहा है।

यह होता विकास : यदि माधव प्लाजा पूरी तरह से प्रारंभ हो जाता तो इस क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि साबित होता। फिलहाल यहां सिर्फ पंजीयन कार्यालय ही काम कर रहा है। सराफा कारोबारियों के यहां दुकानें खोलने से लश्कर सराफा बाजार का लोड भी कम हो जाता।

ब्याज में हो जाते दोगुने रुपए
10 साल पहले शहर के 270 लोहा कारोबारियों ने प्लॉट के लिए रुपए जमा कराए थे, पर अभी तक मामला अटका पड़ा है। इतने सालों तक यदि रुपया बैंक में जमा कराते तो रकम से रुपए दोगुनी हो जाते। वहीं कुछ व्यापारी तो स्वर्ग भी सिधार चुके हैं।
निर्मल जैन, सचिव, लोहा व्यवसायी संघ

बैठक कर चर्चा करेंगे
जीडीए के मुताबिक विकास कार्य के बाद जिस साल में मालिकाना हक दिया जाएगा। उसी साल की कलेक्टर गाइड लाइन से पैसा देना होगा। जबकि हमारा कहना है कि गाइड लाइन रेट एग्रीमेंट वर्ष का लिया जाए। जीडीए से फिर से बैठक करेंगे।
गोकुल बंसल, अध्यक्ष, दाल बाजार व्यापार समिति

नवीन लोहामंडी के विकास के लिए हमने पूरा काम कर दिया है जमीन शासन का मामला है। दाल बाजार की जमीन के लिए ट्रांसपोर्ट नगर के पीछे जमीन के विकास के लिए टेंडर निकाल चुके हैं। दाम कलेक्टर गाइडलाइन पर लेंगे। इसकेे लिए बैठक भी करेंगे। वहीं माधव प्लाजा के लिए प्रदूषण विभाग की स्वीकृति जल्द ही मिलने वाली है।
अभय चौधरी, अध्यक्ष, जीडीए

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