माता के दरबार में माथा टेकने 100 किमी से पैदल आ रहे भक्त
शीतला माता के दर्शन के लिए भिंड और मुरैना से भी पैदल आते हैं श्रद्धालु

ग्वालियर. शहर से 25 किलोमीटर दूर दुर्गम पहाड़ों में स्थित सातऊं शीतला माता मंदिर शहर ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है। करीब 400 साल पुराने इस मंदिर में शहर के लोग तो पैदल शीतला माता मंदिर दर्शन करने जाते ही हैं, भिंड और मुरैना के श्रद्धालु भी कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
श्रद्धालुओं की आस्था जानने के लिए जब झांसी रोड से गुजर रहे भिंड निवासी रामलखन (60) से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे लगातार 3 साल से 100 किमी पैदल यात्रा कर माता शीतला के दर्शनों के लिए यहां आ रहे हैं। जब उनसे पूछा कि इस उम्र में इतनी लंबी यात्रा कैसे, तो उनका कहना था कि सब मैया की महर और मैया का सहारा है। भिंड ही नहीं मुरैना से सैकड़ों यात्री जत्थे के रूप में पैदल यात्रा कर ग्वालियर आ रहे हैं। रात 2 बजे मुरैना से शीतला माता मंदिर जा रहा जत्था गड़ी-गुढ़ा के नाके पर माता के जयकारे लगाता हुआ जाता मिला। जत्थे में मौजूद श्रद्धालुओं ने बताया कि वे 4 चार से ज्यादा समय से वे 75 किलोमीटर की यात्रा कर शीतला माता मंदिर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं शहर मेंं भी कई लोग ऐसे हैं तो 10-15 सालों से मां के दर्शनों के लिए पैदल शीतला माता मंदिर पहुंचते हैं।
डकैतों की आस्था का केंद्र
शीतला माता मंदिर डकैतों की आस्था का केंद्र भी रहा है। यहां डकैत नवरात्र के दिनों में घंटा चढ़ाने आते थे। डकैत माता को इतना मानते थे कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को वह कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे। लगभग 30 वर्ष पहले तक यहां शेर भी आते थे।
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