कथा व्यास ने कहा कि राम जैसे भगवान और केवट जैसा भक्त खोजे नहीं मिलते। श्रीराम ने अपने त्याग एवं प्रेम से ही समाज में उच्च आदर्श स्थापित किया। श्रीराम का वनवास मानव समाज में प्रेम और त्याग की शिक्षा देता है। इससे पूर्व वनवास को जा रहे राम से बिछुड़ने के अयोध्यावासियों के शोक और राजा दशरथ की मृत्यु का भावपूर्ण प्रसंग सुनाया।
इतनी धन्य हूं कि आपको भगवान राम की सेवा का अवसर मिला
कथा व्यास ने कहा कि लक्ष्मण वन गमन के पूर्व जब अपनी पत्नी उर्मिला से मिलने गए तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि, मैं इतनी धन्य हूं कि आपको भगवान राम की सेवा का अवसर मिला। मैं इसमें बाधा नहीं बनूंगी क्योंकि धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परखिए चारी कहावत के अनुसार पत्नियों का यह धर्म बनता है कि अपने पति को पतन से बचाए। यही भारतीय नारी का धर्म है।
कथा में भजनों पर भगवान कव भक्ति में भक्तों झूमें
मीडिया प्रभारी सचिन जैन ने बताया कि संगीतमय कथा में महाराज ने अपने मुखबिंद से मेरा आप की कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है…. सतगुरु मैं तेरी पतंग हवा विच उड़दी जावांगी, साईयां डोर हथों छड्डी ना मैं कट्टी जावांगी, गुरुवर की कृपा जिस पर हो जाए वो मौज उडावे, मौज उड़ावे, हे मेरे मालिक हमें तुम्हारा सहारा न मिलता, भंवर में ही रहते किनारा ना मिलता, कौन सुनेगा किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं, झूठी दुनिया से मन को हटाले ध्यान प्रभु के चरणों में लगा ले आदि भजन गाए गए। भजनों पर भक्तों के थिरकने का क्रम भी पहले दिन से ही चल रहा है।
इतनी धन्य हूं कि आपको भगवान राम की सेवा का अवसर मिला
कथा व्यास ने कहा कि लक्ष्मण वन गमन के पूर्व जब अपनी पत्नी उर्मिला से मिलने गए तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि, मैं इतनी धन्य हूं कि आपको भगवान राम की सेवा का अवसर मिला। मैं इसमें बाधा नहीं बनूंगी क्योंकि धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपद काल परखिए चारी कहावत के अनुसार पत्नियों का यह धर्म बनता है कि अपने पति को पतन से बचाए। यही भारतीय नारी का धर्म है।
कथा में भजनों पर भगवान कव भक्ति में भक्तों झूमें
मीडिया प्रभारी सचिन जैन ने बताया कि संगीतमय कथा में महाराज ने अपने मुखबिंद से मेरा आप की कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है…. सतगुरु मैं तेरी पतंग हवा विच उड़दी जावांगी, साईयां डोर हथों छड्डी ना मैं कट्टी जावांगी, गुरुवर की कृपा जिस पर हो जाए वो मौज उडावे, मौज उड़ावे, हे मेरे मालिक हमें तुम्हारा सहारा न मिलता, भंवर में ही रहते किनारा ना मिलता, कौन सुनेगा किसको सुनाएं इसलिए चुप रहते हैं, झूठी दुनिया से मन को हटाले ध्यान प्रभु के चरणों में लगा ले आदि भजन गाए गए। भजनों पर भक्तों के थिरकने का क्रम भी पहले दिन से ही चल रहा है।