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दिव्यांग को राष्ट्रपति के हाथ से पट्टा दिलवा दिया, लेकिन आवास देने से इनकार

locationग्वालियरPublished: Jan 15, 2019 01:11:52 am

Submitted by:

Rahul rai

10 साल में लगभग 15 बार आवेदन दिए, जिस पर कलेक्टर ने निर्देश दिए और पिछले साल राष्ट्रपति ने पट्टे का प्रमाण पत्र दिया, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की मनमानी के कारण उसे आवास नहीं मिल पाया

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दिव्यांग को राष्ट्रपति के हाथ से पट्टा दिलवा दिया, लेकिन आवास देने से इनकार

ग्वालियर। कमर से नीचे का 80 फीसदी हिस्सा बिलकुल काम नहीं करता, वैसाखी ही उसकी ताकत है। किसी पर आश्रित होने की बजाय स्वयं कमाकर अपना पेट भरने की कोशिश में लगा है। वह अपने लिए एक आवास चाहता है, इसके लिए 10 साल में लगभग 15 बार आवेदन दिए, जिस पर कलेक्टर ने निर्देश दिए और पिछले साल राष्ट्रपति ने पट्टे का प्रमाण पत्र दिया, लेकिन नगर निगम अधिकारियों की मनमानी के कारण उसे आवास नहीं मिल पाया। वह हर शिविर में गुहार लगाता है, लेकिन सुनवाई नहीं होती।
10 साल में समीक्षा गुप्ता महापौर रहीं, वर्तमान महापौर विवेक शेजवलकर का कार्यकाल भी खत्म होने को है। जिले में आकाश त्रिपाठी, पी.नरहरि, डॉ.संजय गोयल, राहुल जैन और अशोक वर्मा कलक्टर रहे। इनमें से नरहरि, गोयल और जैन ने सरकारी आवास योजना के जरिए छत दिलाने के लिए शुरुआती पहल की थी। दस साल में दिव्यांग ने लगभग 15 बार आवेदन दिए, इसमें से 4 बार आवेदन स्वीकार किए गए। बीते वर्ष राष्ट्रपति के प्रोग्राम में प्रमाण पत्र मिलने से उम्मीद जगी, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों सामने राष्ट्रपति का दिया प्रमाण पत्र और कलक्टर के निर्देश बेअसर साबित हुए हैं।
राष्ट्रपति का दिया प्रमाण पत्र भी काम का नहीं
जिले को दिव्यांग मित्र बनाने के लिए 11 फरवरी 2018 को जीवाजी यूनिवर्सिटी के मैदान में जिला स्तरीय शिविर लगा था, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथ से दिव्यांग संजय गौड़ को अधिकार पत्र दिया गया था, जिसमें उल्लेख किया गया था कि हितग्राही को 30 मीटर कारपेट एरिया सहित पक्का आवास प्रदाए किए जाने के लिए पात्र घोषित किया जाता है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चित्र सहित तैयार प्रमाण पत्र नगर निगम ने जारी किया था।
निगम अधिकारियों ने की अनसुनी
राष्ट्रपति के हाथों से मिले आवास पट्टे के आधार पर चार महीने पहले दिव्यांग ने नगर निगम कार्यालय में 20 हजार रुपए जमा कराने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया था। निगम के अधिकारियों ने पट्टा सर्टिफिकेट नकारते हुए सीधे तौर पर मना कर दिया। अधिकारियों का कहना था कि अविवाहितों के लिए आवास पट्टा नहीं है, जबकि सूत्रों के अनुसार कपिल राठौर, राहुल बाथम सहित 10 से अधिक अविवाहितों को पट्टा दिया गया है।
शिकायत को बंद करवा दिया
जनसुनवाई में आवेदन देने के बाद कलक्टर ने 28 अक्टूबर 2014 को निगमायुक्त को पत्र लिखकर आवास के लिए समुचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। -कलक्टर को 26 फरवरी 2013, निगमायुक्त को 13 अगस्त 2013, महापौर को 19 मई 2013 को आवास के लिए आवेदन दिया था, इसकी शिकायत 27 अक्टूबर 2014 को सीएम हेल्पलाइन में की थी। नगर निगम ने बिना जांच किए अपात्र घोषित कर शिकायत को बंद करवा दिया।
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