उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बनाया अच्छा मुकाम
डॉ. थत्ते ने कहा कि सर्वप्रथम विषय का चयन करते समय विषय का अध्ययन करना चाहिए। उपयुक्त विषय का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। क्योंकि उसी पर शोधकार्य का भविष्य निर्धारित होता है। वर्तमान समय में नई टेक्नॉलॉजी शोध कार्य में अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हो रही है। वर्तमान समय में संगीत क्षेत्र में विद्यार्थियों को प्रायोगिक के साथ-साथ संगीत शास्त्र का भी अध्ययन करना चाहिए। वर्तमान में भारतीय शास्त्रीय संगीत उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। वेबिनार में देश भर से 100 कलाकारों, शोधार्थी, विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में डॉ रंजना टोणपे, डॉ सुनील पावगी, डॉ पारुल दीक्षित, विकास विपट, विवेक लिमये सहित कई लोग शामिल हुए।