दुल्हन के पिता द्वारिका प्रसाद ने बताया कि शनिवार को सुबह विदाई से पहले दूल्हा और उसके पिता दहेज में कार मांगने लगे। दूल्हे के पिता सुरेश बोले, हमें दुल्हन की अटैची देखनी है, उसमें कितने जेवर हैं, उसके बाद विदा होगी। यह बात शिवांगी के कानों तक भी पहुंच गई, तब उसने तय किया कि ऐसे लालची लोगों के साथ वह नहीं रह सकती, उसने शादी तोड़ दी।
शादी के समय दूल्हा पक्ष और उसके घरवाले ठसक में थे, लेकिन जब दुल्हन ने शादी तोड़ दी और पुलिस आ गई तो दूल्हा और उसके परिवार वाले उनके सामने गिड़गिड़ाने लगे। वे यह भी कहने लगे कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए, दुल्हन को विदा कर दो।
शादी टूटने के बाद वधु पक्ष ने तय किया कि वर पक्ष दहेज में दी गई रकम और शादी में खर्च हुआ पैसा लौटा देगा तो एफआइआर नहीं कराएंगे। इसके बाद समाज और परिवार के लोग बैठे, वकील को भी बुलाया गया, लिखा-पढ़ी के बाद वर पक्ष ने दहेज में ली गई रकम लौटा दी।
मैं जानती हूं लडक़ी की शादी टूटना कितनी बड़ी बात है, लेकिन मैं दहेज लालचियों को सबक सिखाना चाहती थी, इसलिए शादी तोडऩे का निर्णय लिया, ताकि और लड़कियों को प्रेरणा मिल सके, वह डरें नहीं, हिम्मत दिखाकर दहेज का विरोध करें।
शिवांगी, दुल्हन
मैंने और मेरे घरवालों ने कोई दहेज नहीं मांगा। हम तो शादी करने के लिए तैयार हैं, हमें एक पैसा नहीं चाहिए। वह चाहें तो हम लिखकर भी दे सकते हैं।
प्रतीक अग्रवाल, दूल्हा