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अब नहीं जागे तो यहां भी हो सकता है इंदौर जैसा हादसा, स्कूली बसों की हालत देखकर होश खो देंगे

locationग्वालियरPublished: Jan 08, 2018 03:31:22 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

दोनों ब्लॉकों में करीब 188 निजी स्कूल संचालित हैं जिसमें से कुछ ऐसे स्कूल हैं जिसमें बच्चों के लिए कंडम व अनफिट स्कूल बसें दौड़ रहीं है।

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ग्वालियर/डबरा। दोनों ब्लॉकों में करीब 188 निजी स्कूल संचालित हैं जिसमें से कुछ ऐसे स्कूल हैं जिसमें बच्चों के लिए कंडम व अनफिट स्कूल बसें दौड़ रहीं है। कई स्कूली वाहन जर्जर हैं फिर भी बच्चों को ले जाने का काम कर रहे हैं। जिस ओर परिवहन विभाग के अलावा स्थानीय प्रशासन का ध्यान नहीं है। इंदौर के बायपास पर स्कूली बस के स्टेयरिंग फेल होने की वजह से हुए हादसे के बाद भी प्रशासन नहीं चेता है। वह अभी भी लापरवाह बना हुआ है।

 

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कई बार सामने आया है कि कई स्कूल संचालक नियमों का पालन भी नहीं करते हुए वाहन चालक और साथ में चल रहे कर्मचारी का भी पुलिस थाने से चरित्र का सत्यापन भी नहीं कराया है। हर साल स्कूली वाहन फीस भी बढ़ाते हैं लेकिन सुविधा के नाम पर कई वाहनों में फस्ट एंड बॉक्स की सुविधा भी नहीं है।

 

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डबरा में सात सीबीएसई स्कूल संचालित हैं। अधिकतर स्कल बाजार से दूर होने के कारण बसों से ही बच्चों को लाने-लेजाने का काम करते हैं। जहां तक इन स्कूलों में संचालित बसें, वैन और ऑटो द्वारा किराया लिया जाता है। वह भी पालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ाता है। साथ ही कुछ स्कूल के वाहनों को छोड़कर अधिकतर स्कूली वाहन नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं। जिसमें अधिकतर वाहन खटारा हालत में हैं और बिना फिटनेस के अलावा प्रदुषण विभाग से भी कई गाडिय़ों के पास प्रमाण पत्र तक नहीं है।

 

ये है नियम
-बस चालक का आई कार्ड बना होना चाहिए
-चालक के चरित्र का पुलिस से सत्यापन होना चाहिए
-बस के आगे-पीछे स्कूल बस लिखा होना चाहिए
-बस को पीले रंग से रंगा होना चाहिए
-बस पर चालक, स्कूल और परिवहन व्यवस्था प्रभारी का नाम और मोबाइल नम्बर लिखा होना चाहिए
-बस पर चालक के अलावा एक अन्य यानी कि क्लीनर होना चाहिए जो बच्चों को उतारने और चढ़ाने का काम करे
-बस पर फस्ट एड बॉक्स की व्यवस्था होना चाहिए
-बस के पास प्रदुषण मुक्त का प्रमाण पत्र भी होना आवश्यक

“पिछले दिनों आरटीई की बैठक में सभी स्कूल संचालकों को स्कूली बसें अपडेट रखने के निर्देश दिए जा चुके है। पूर्व में अभियान चलाकर, जिनके फिटनेस नहीं थे उन स्कूल संचालकों को निर्देशित किया था।”
धर्मेन्द्र पाठक, बीआरसी डबरा

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