यह दिखा मेले के सैक्टर्स का हाल
मैन गेट से प्रदर्शनी सैक्टर
-सडक़ के किनारे पर चारों ओर कचरा बिखरा हुआ था। जिसकी वजह से डामर की सडक़ खराब नजर आ रही थी। इसके अलावा रात में अगर कोई इधर से निकले तो लगेगा ही नहीं कि जिस सडक़ के किनारे स्वच्छता का संदेश देने वाली प्रदर्शनी लगी है, उसी के बाहर गंदगी है।
झूला सैक्टर से खानपान सैक्टर
-झूला सैक्टर की सडक़ पर भी कचरा था। यहां से आगे की ओर खानपान सैक्टर की ओर जाते ही गंदगी और खराब तस्वीर सामने आई। जिन नामी प्रतिष्ठानों का स्वाद लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, उनके दरवाजे पर दोने बिखरे थे। बचा हुआ खाना सडक़ पर पड़ा था। जो नीले ड्रम कचरा डालने के लिए रखे थे, उसमें से एक को किसी पशु ने उलट दिया था, जिसके कारण गंदगी का ढेर लग गया था।
घरेलू सामान सैक्टर
-पारंपरिक घरेलू सामान के सैक्टर में कचरा कम नजर आया, लेकिन यहां लोहे की तमाम कीलें सडक़ पर मिलीं। दुकानदारों की लापरवाही से यह सडक़ पर आई हैं। अगर किसी सैलानी के पैर में चुभ गई या किसी बच्चे को लगी तो अस्पताल पहुंचना तय है।
कचरे में लग रही थी आग
व्यवसाइयों में से किसी ने सफाई कराने के लिए अतिरिक्त मेहनत से बचने के लिए सडक़ पर फैंगे गए कचरे में आग लगा थी। अगर असावधानीवश इस आग की चिंगारी ने किसी दुकान को छू लिया तो बड़ा हादसा होने की संभावना है। दुकानदार लगभग हर रात कचरे में आग लगाते हैं। सुबह भी यही हाल रहता है, झाडू लगाने वाले कचरे का ढेर बनाकर किसी कौने में आग लगा देते हैं, जिससे जहरीला धुआं उठता है।
शौचालयों की भी नहीं होती सफाई
मेला में आए व्यवसाई और सैलानियों के लिए पब्लिक टॉयलेट बनाए गए हैं। इनमें से जो पेड हैं, वे कुछ हद तक ठीक हैं, लेकिन पब्लिक टॉयलेट में उठती बदबू और गंदगी के कारण सामान्य जन वहां जाने से भी कतराते हैं। खासकर महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
समितियां बनीं दिखावा
मेला में इंतजामों को दुरुस्त रखने के लिए उद्घाटन से पहले ही अलग-अलग समितियां बनाई गई थीं। इन समितियों में शामिल अधिकारियों को मेले में बिजली, पानी, सुरक्षा के साथ-साथ सफाई की व्यवस्था को सही रखने की जिम्मेदारी भी दी गई थी। लेकिन हर ओर बिखरा कचरा इस बात की गवाही दे रहा है कि स्वच्छता को लेकर प्रशासन गंभीर रख अख्तियार नहीं कर रहा है।