इसके लिए निगम जल्द ही ऑफर आमंत्रित करने की योजना बना रहा है, जिसमें फैक्ट्री लगाने वाले को गोबर और जगह उपलब्ध कराई जाएगी। पीपीपी मॉडल के तहत गोबर से लकड़ी बनाने वाली फर्म को बताना होगा कि वह कैसे, कितनी जगह में, प्रतिदिन कितना काम करेगी और गोशाला को प्रति क्विंटल लकड़ी पर क्या राशि प्रदान करेगी।
गोशाला में करीब एक साल से गोबर की लकड़ी बनाने के पायलेट प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है, जिसकी लकडि़यों से लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में अब तक ऑनलाइन संस्था द्वारा करीब 2000 शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है। अब चार के सभी मुक्तिधामों में गोबर की लकड़ी दी जाएगी। इसके बाद उद्योगों, होटलों में भी सप्लाई की जाएगी।
वर्तमान में करीब एक हजार रुपए में दाह संस्कार होता है। चूंकि गाय के गोबर से बने कंडों से संस्कार की प्रक्रिया को उचित माना गया है, इसलिए गोबर की लकडि़यों की मांग बढ़ी है, जिसकी पूर्ति के लिए बड़े स्तर पर प्लांट लगाए जाने की जरूरत है।
जब सभी मुक्तिधामों पर गोबर की लकडि़यों का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में हो जाएगा, तब लकडि़यों से अंतिम संस्कार करने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा, ताकि गोशाला भी आत्म निर्भर बने और पर्यावरण संतुलन भी बना रहे। विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम