दशहरे के दिन सिंधिया राजघराने का भव्य वैभव देख हर कोई दंग था। जो भी इस आयोजन में शामिल हुआ, वे उस हकीकत से रूबरू हो रहे थे, जो सदियों पहले हुआ करती थी। प्रजा की तरह पहुंचे लोग इस परंपरा के साक्षी बने। महाराज के जयकारे लगाए गए और जय श्रीराम के जयघोष के साथ दशहरा पर्व मनाया गया। इसके बाद सोना पत्ती (शमी) का आदान-प्रदान हुआ।
मराठा पगड़ी में नजर आए सिंधिया
सिंधिया राजसी पोशाक में नजर आए। वे परंपरानुसार मराठा पगड़ी और तलवार साथ में लेकर चल रहे थे। लोग इस दिन सिंधिया राजघराने का ठाट-बांट देखने के लिए उमड़ पड़ते हैं।
हर साल सिंधिया गोरखी पैलेस में विजयादशमी का पूजन करते हैं, इसके बाद शाम को सिंधिया घराने की कुलदेवी मांढेरवाली माता मंदिर पहुंचते हैं। इसके बाद वहां पर शमी पूजन किया जाता है। पूजन के बाद शमी के पत्तों को जनता में लुटाया जाता है और बांटा जाता है। मान्यता है कि सोने का प्रतीक माने जाने वाली शमी के पत्तों को बांटने से घर में सुख-समृद्धि मिलती है।