scriptकोच बनकर कमाएं पद, प्रतिष्ठा और पैसा | Earn position, reputation and money by becoming a coach | Patrika News

कोच बनकर कमाएं पद, प्रतिष्ठा और पैसा

locationग्वालियरPublished: Dec 03, 2020 11:57:25 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

कोरोना के साथ युवाओं का बढ़ा खेल की तरफ रुझान, देश में नॉलेजेबल कोच की भारी कमी

कोच बनकर कमाएं पद, प्रतिष्ठा और पैसा

कोच बनकर कमाएं पद, प्रतिष्ठा और पैसा

ग्वालियर.
एक आदर्श कोच ही किसी को महान खिलाड़ी बनाता है। एक कामयाब बॉलर, बैट्समैन या ऑलराउंडर बनने की चाह रखने वाले युवा को अगर एक बढिय़ा कोच या प्रशिक्षक मिल गया, तो उसकी मंजिल बेहद आसान हो जाती है। सचिन तेंदुलकर को गढऩे में अगर किसी का सबसे अधिक हाथ है, तो वह उनके कोच रमाकांत आचरेकर का है। आज देश में कई ऐसे कोच हैं, जिनकी देखरेख में कई जाने-माने खिलाडियों ने ट्रेनिंग ली और उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। समय के साथ हर खेल की डिमांड बढ़ रही है। कोरोना काल ने और भी लोगों को किसी न किसी गेम से जोड़ दिया है। ऐसे में अब कोच की जरूरत और अधिक बढ़ी है। यदि युवाओं को खेल में इंट्रेस्ट है तो वे कोच बनकर भी अपना कॅरियर संवार सकते हैं। इसमें पद, प्रतिष्ठा और पैसा सब कुछ है।

कोच को गेम से जुड़ी जानकारी होना बहुत जरूरी
ग्वालियर के क्रिकेट कोच एवं फिटनेस ट्रेनर सुनील शर्मा बताते हैं कि किसी भी फेडरेशन का कोच बनने से पहले उस गेम से जुड़ी जानकारी का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपका लम्बे समय तक खेलते रहना जरूरी है। साथ ही यदि आपने बीपीएड, एमपीएड, पीएचडी व किसी फेडरेशन से अलग-अलग लेवल के एग्जाम क्रॉस किए हैं, तो ये आपके कॅरियर के लिए बहुत ही अच्छा है। खेल से रिटायरमेंट लेने के बाद भी यदि खेल से जुड़े रहना चाहते हैं तो भी कोच बनना बेस्ट ऑप्शन है। आज देश में नॉलेजबल कोच की भारी कमी है। इसलिए युवाओं को इस फील्ड की ओर आगे आना चाहिए।


रिटायरमेंट के बाद भी जुड़े रह सकते हैं खेल से
एलएनआइपीई ग्वालियर में कोच रह चुके डॉ. डीएस निर्भय बताते हैं कि खेलते हुए व खेल से रिटायरमेंट लेने के बाद भी कोच बनकर आप अपने पसंदीदा गेम से जुड़े रह सकते हैं। आने वाले समय में खेल के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए कोच बनकर आप अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। इसमें पैसे के साथ ही नाम और पहचान भी है। अलग-अलग फेडरेशन में कई बार अनुभव के आधार पर भी कोच की नियुक्ति होती है। एक खिलाड़ी कभी नहीं थक सकता। मेरी 80 साल उम्र होने के बाद आज भी प्रैक्टिस करता हूं। मैं एलएनआइपीई में लम्बे समय तक कोच रहा। आज भी मैं खिलाडिय़ों को गाइड करता हूं।

खोल सकते हैं खुद की एकेडमी
कोच बनने के बाद आप खुद की एकेडमी खोल सकते हैं। नेशनल और इंटरनेशनल कोच बनने का मौका मिल सकता है। लोकल लेवल पर चल रही एकेडमी के कोच बन सकते हैं। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को ट्रेंड करने की अपॉच्र्युनिटी मिल सकती है। हेल्थ क्लब में भी अवसर मिल सकता है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फि जिकल एजुकेशन ग्वालियर, जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फि जिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स साइंस दिल्ली, कॉलेज ऑफ फि जिकल एजुकेशन पुणे, एमिटी स्कूल ऑफ फि जिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स साइंस नोएडा आदि।

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