कोयला की आपूर्ति में रेलवे तेजी लाया है। कुछ दिन पहले तक उत्तर-मध्य रेलवे जोन से प्रतिदिन गुजरने वाले रैक की संख्या औसत 30 होती थी, जो अब बढक़र 42 पहुंच गई है। इसके पीछे मकसद ताप विद्युत गृहों तक कोयले की पर्याप्त आपूर्ति है।
रेलवे ने कोयले की कमी से देश में बिजली संकट के हालात को देखते हुए पॉवर प्लांट तक रैक पहुंचाने में अड़चन दूर करने के प्रयास किए हैं। एनसीआर के सीपीआरओ डॉ. शिवम शर्मा ने बताया कि कोयले की मालगाड़ी को लेकर विशेष मॉनीटरिंग की जा रही है।
बिहार व झारखंड से आ रहे कोयले के रैक
उत्तर-मध्य रेलवे जोन से गुजरने वाले रैक की संख्या बढ़ी है। यह रैक बिहार और झारखंड से आ रहे हैं। रेलवे अधिकारियों को कहा गया है कि अगर ट्रेक पर कोई परेशानी है तो पहले कोयला से भरी मालगाडिय़ों को निकाला जाएगा। जिससे जल्द से जल्द कोयला पावर प्लांट तक पहुंच सके। इससे बिजली का संकट कुछ कम हो सके।
MP में बिजली संकट न हो इसलिए सडक़ मार्ग से भी मंगाया जा रहा कोयला
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बिजली संकट की बात नकारते हुए कहा, अभी प्रदेश में बिजली संकट जैसे हालात नही हैं, लेकिन ऐहतियात के तौर पर सरकारी विभागों को चिट्ठी लिखकर बिजली की बचत का सुझाव दिया गया है।
उन्होंने कहा, आज हमारी 1200 हजार मेगावाट बिजली की मांग थी उसे हमने पूरा किया है। इसके अलावा 30 लाख टन कोयला सडक़ मार्ग से लाने के लिए टेंडर कर दिए हैं। रेलवे से रैक के जरिए कोयला आपूर्ति की जा रही है। कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आई तो हम संकट से उबर जाएंगे। मप्र में उपभोक्ताओं को पावर क्वालिटी, ट्रांसफार्मर और तारों का मेंटेनेंस करने के लिए जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार से पैसा लेंगे, यदि और जरूरत पड़ी लोन भी लेंगे।