लक्ष्मीगंज स्थित माधव वृद्धाश्रम में दो दिन पहले तारागंज निवासी 75 वर्षीय उमा ओझा रहने पहुंची। आंखों में आंसू लिए जब वे आश्रम में पहुंची तो आश्रम प्रबंधन ने उनका स्वागत कर उन्हें अपना लिया। हाईस्कूल तक पढ़ी बुजुर्ग उमा ने बताया कि गोल पहाड़िया क्षेत्र में उनका खुद का मकान था। उनके पति का बैल्डिंग कारखाने का काम था। सालों पहले उनके पति का देहांत हो गया था। पति के जाने के बाद कारखाने का काम बंद हो गया। उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं जिन्हें उन्होंने जैसे तैसे पाल पोसकर बड़ा किया बेटों को पैरों पर खड़ा किया और बेटियों की शादी की। बड़ा बेटा मालनपुर में फैक्ट्री में मैनेजर है अच्छा खासा वेतन है। दीनदयाल नगर में आलीशान मकान है। छोटा बेटा भी प्राइवेट नौकरी करता है।
बेटे ने लिया कर्ज में चला गया मकान
उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना मकान छोटे बेटे के नाम कर दिया था। बेटे ने कर्ज ले लिया था जिसका ब्याज बढ़ जाने व कर्जदार के दबाव के चलते मकान को बेचने पड़ा। कर्ज चुकाने के बाद आधी रकम छोटे बेटे ने ले ली और आधी रकम उन्हें मिली। बेटियां धोखा देकर उनसे रकम ले गईं। बेटियों ने कहा कि यह रकम हमें दे दो उसे हम ब्याज पर उठाकर तुम्हारे खर्च के लिए पैसा भेजते रहेंगे लेकिन बेटियों ने उसके बाद मुड़कर भी नहीं देखा। न रकम वापस आई और न ही एक भी पैसा ब्याज का मिला।
अपनों के ठुकराए 22 बुजुर्ग रह रहे हैं आश्रम में
लक्ष्मीगंज स्थित माधव वृद्धाश्रम में वर्तमान में अपनों द्वारा ठुकराए 22 बुजुर्ग महिला पुरुष रह रहे हैं। इनमें 4 पुरुष एवं 18 महिलाएं शामिल हैं। ये सभी 70 साल से ऊपर की उम्र के हैं। आश्रम जनसहयोग से चल रहा है। दानादाता आश्रम में किसी बात की कोई कमी नहीं रख रहे हैं।
रोज-रोज के लड़ाई झगड़े व तानों से छोड़ दिया घर
बुजुर्ग उमा ने बताया कि बड़ा बेटे ने शादी के बाद रुपया और शोहरत कमाई और मुझसे लगभग नाता सा तोड़ लिया। कभी भी देखने या मिलने नहीं आता है। मैं मकान बिकने के बाद छोटे बेटे के साथ किराए के मकान में तारागंज आकर रहने लगी। बेटा और बहू रोज लड़ाई झगड़ा करते थे। आए दिन ताने देते थे कि हमारा गुजारा तो चल नहीं पा रहा ऊपर से तुम हम पर बोझ बन गई हो। जब पानी सिर से गुजर गया तो घर छोड़कर वृद्धाश्रम रहने आ गई।
दो दिन पहले बुजुर्ग मां वृद्धाश्रम में आईं और अपनी व्यथा सुनाकर रहने के लिए जगह मांगी। आश्रम के नियम के अनुसार कागजी कार्रवाई कर उनका स्वागत कर उन्हें आश्रम में रखा गया है।
नूतन श्रीवास्तव, चेयरमैन, माधव बाल निकेतन एवं वृद्धाश्रम