देश के 10 हजार बुजुर्गों पर किए सर्वे में यह तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र संघ वृद्ध व्यक्तियों के मानवाधिकारों के लिए बनाया है। विकास में वृद्धों के योगदान को मान संयुक्त राष्ट्र ने भारत की इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर जगह दी है।
82 फीसदी का नजरिया बदला, 75 फीसदी को निराशा ने घेरा
देश के 82.6% बुजुर्गों का नजरिया बदल गया है, इनमें से 75.1% अपने भविष्य को लेकर निराशा में घिर चुके हैं। इसके पीछे महामारी में परिवार के सदस्य की मृत्यु और आर्थिक नुकसान को वजह मानते हैं। हालात यह हैं कि अधिकांश बुजुर्ग भय के साए में हैं, क्योंकि वह जिनके भरोसे बुढ़ापा गुजारने वाले थे उनमें से कोई नौकरी गंवा बैठा है या उसका व्यवसाय ठप हो गया। यह स्थिति देश में स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों से और भी खराब हो रही है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष...
- 45.7% अकेलेपन को लेकर मनोवैज्ञानिक तौर पर प्रभावित
- 19.5% यानी हर 5वें बुजुर्ग का महंगाई से जीवन प्रभावित हुआ
- 73.6% बुजुर्ग लकवाग्रस्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को प्रतिकूल मानते हैं
- 47.6% बुजुर्गों ने महसूस किया कि उनके मानवाधिकारों से समझौता हुआ
- 49.5% बुजुर्गों ने कथित तौर पर कोविड के कारण स्वतंत्रता खो दी।
- 93.2% को अपनी व जीवनसाथी के सेहत की चिंता सताती है
- 66.2% बुजुर्ग अपने परिवार के सदस्यों के लिए चिंतित थे।
इस पर ध्यान दे समाज व सरकार...
सामाजिक सुरक्षा :
- वृद्धों के मानवाधिकारों के लिए जागरूकता लाई जाए
- सरकारी नीतियों में संशोधन कर वृद्धों के अनुकूल बनाएं
- वृद्धों को समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित कराएं
- वृद्धों की सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य नीति पर बहस हो
आर्थिक सुरक्षा:
- वृद्धों के लिए आय व सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाया जाए
- कम उम्र से वित्तीय नियोजन कर बृद्धावस्था में आय सुनिश्चित हो
- असंगठित क्षेत्र में बुजुर्गों को रोजगार के लिए प्रोत्साहन दिया जाए
- सेवानिवृत्ति के पहले व बाद में कौशल प्रशिक्षण कार्य₹म कराएं
ज्यादातर वृद्धावस्था के लिए तैयार नहीं...
एजवैल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हिमांशु रथ कहते हैं, बूढ़े व्यक्तियों को समान अधिकार और अवसर बिना भेदभाव के देने चाहिए। इस तरह सतत विकास में उनकी भूमिका तय की जा सकती है। देश में ज्यादातर वृद्ध बुढ़ापे के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए उनमें से ज्यादातर के पास जरूरतों को पूरा करने पर्याप्त संसाधन नही हैं। बुजुर्गों को जरूरतों जिनमें वित्तीय, स्वास्थ्य सेवाओं के साथ सामाजिक सहयोग के लिए दूसरों के भरोसे रहना पड़ता है।
भावनात्मक रूप से तोड़ रहा बढ़ता जनरेशन गैप : अध्ययन में पीढिय़ों के बीच बढ़ता अंतर (जनरेशन गैप) भी बुजुर्गों के लिए मुश्किल हालात पैदा कर रहा है। 74.9% बुजुर्गों की मानें तो यह अंतर पिछले वर्षों में तेजी से बढ़ा है। इससे अधिक 76.7% बुजुर्ग मानते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती खाई से उनके सामाजिक संपर्क और गतिविधियों को रोक दिया है।