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अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों के दखल से गुस्से में हैं डॉक्टर, की आपात बैठक

locationग्वालियरPublished: Nov 21, 2019 01:12:30 am

Submitted by:

Rahul rai

शासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप पर असंतोष जताते हुए डॉक्टरों ने कहा कि चिकित्सक निर्भीक होकर इलाज नहीं कर पा रहे हैं। सरकारी तंत्र डॉक्टरों पर हावी होना चाहता है, इससे व्यवस्थाएं और बिगड़ेंगी। स्वास्थ्य सेवाओं को डॉक्टर ही संभाल सकते हैं, न की प्रशासन के अफसर और नेता

अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों के दखल से गुस्से में हैं डॉक्टर, की आपात बैठक

अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारियों के दखल से गुस्से में हैं डॉक्टर, की आपात बैठक

ग्वालियर। शासकीय व गैर शासकीय अस्पतालों में प्रशासन की दखलंदाजी पर डॉक्टरों के संगठन लामबंद हो गए हैं। बुधवार को गजराराजा मेडिकल कॉलेज में मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नर्सिंग होम एसोसिएशन, मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन एवं जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने आपात बैठक कर गुस्सा जाहिर किया और मध्यप्रदेश शासन द्वारा बनाए गए क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को काला कानून बताया। प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप पर असंतोष जताते हुए डॉक्टरों ने कहा कि चिकित्सक निर्भीक होकर इलाज नहीं कर पा रहे हैं। सरकारी तंत्र डॉक्टरों पर हावी होना चाहता है, इससे व्यवस्थाएं और बिगड़ेंगी। स्वास्थ्य सेवाओं को डॉक्टर ही संभाल सकते हैं, न की प्रशासन के अफसर और नेता। जेएएच की व्यवस्थाओं को लेकर डॉक्टरों की टीम बना दी गई है, इससे काफी परेशानी आएगी। डॉक्टर इतने गुस्से में थे कि उन्होंने कहा कि अगर कोई प्रशासनिक अधिकारी निरीक्षण के लिए आता है तो सभी चिकित्सक अपना काम छोडकऱ बाहर आ जाएंगे। बैठक में डॉ.अरविंद दुबे, डॉ. ओएन कौल, डॉ.सतीश उदैनिया, डॉ.केएस भल्ला, डॉ.सुनील अग्रवाल आदि कई प्रोफेसर उपस्थित थे।
विसंगतियां दूर हों
बैठक में सरकार द्वारा नए लाए जाने वाले क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को सभी ने नामंजूर कर दिया। शासन के विभिन्न नियम जो नर्सिंग होम, स्वास्थ्य विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए जारी किए गए हैं, उनमें व्याप्त विसंगतियां के सुधार की मांग की।
कमिश्नर प्रणाली समाप्त हो
डॉक्टरों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में कमिश्नर प्रणाली समाप्त किया जाए एवं स्वशासी संस्थाओं के अध्यक्ष, डायरेक्टर, कमिश्नर इत्यादि पदों पर किसी वरिष्ठ चिकित्सक को नियुक्त किया जाए। जिन वरिष्ठ चिकित्सकों को डायरेक्टर अथवा कमिश्नर के पद पर बैठाएंगे, उन्हें सचिव स्तर के अधिकार दिए जाएं।
कॉन्ट्रैक्ट स्थानीय संस्थाओं को दिए जाएं
अस्पताल की सफाई सुरक्षा इत्यादि के कॉन्ट्रैक्ट स्थानीय संस्थाओं या लोगों को दिए जाने चाहिए, ना की राष्ट्रीय एजेंसी को। उपकरणों एवं आवश्यक सामान की खरीद के लिए स्थानीय महाविद्यालय एवं अस्पतालों को अधिकृत किया जाना चाहिए ना की राज्य स्तर पर।
वरिष्ठ पद पदोन्नति से भरे जाएं
वरिष्ठ पदों को पदोन्नति द्वारा भरा जाना चाहिए और सभी प्रकार की सीधी भर्ती इन पदों पर नहीं की जानी चाहिए। मरीज के इलाज के बिलों के भुगतान विशेष तौर पर मरीज की मृत्यु उपरांत बिलों के भुगतान के लिए नीति बनानी चाहिए। चिकित्सकों के साथ एवं अस्पतालों में होने वाले झगड़े मारपीट एवं तोडफ़ोड़ रोकने सख्त कदम उठाने चाहिए।
प्रशासनिक अधिकारियों को समारोह में न बुलाएं
प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप एवं उनके दुव्र्यवहार से डॉक्टरों में निराशा एवं गुस्सा है। बैठक में कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को किसी भी सार्वजनिक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में किसी भी चिकित्सकीय संस्था द्वारा नहीं बुलाया जाए। ऐसा किया जाता है तो ऐसे कार्यक्रमों का बहिष्कार किया जाए।
अधिकारियों के घर इलाज करने नहीं जाएं
प्रशासनिक अधिकारियों, उनके परिवार के सदस्यों या अन्य संबंधित लोगों के इलाज के लिए उनके निवास या दफ्तर पर बुलाने पर कोई भी चिकित्सक देखने नहीं जाए।

निरीक्षण में साथ न जाएं, सर न कहें
कई प्रशासनिक अधिकारी चिकित्सकीय संस्थानों में पदस्थ चिकित्सकों से कैडर एवं वेतनमान में जूनियर होने के कारण उन्हें किसी भी प्रकार के निरीक्षण के लिए साथ में नहीं जाएं और सर कहकर संबांधित नहीं करें।
आचार संहिता बनाई
बैठक में आए सुझावों एवं समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए सभी चिकित्सकों ने आचार संहिता बनाकर उस पर अमल कैसे किया जाए, इस पर निर्णय लिया। यह आचार संहिता सभी चिकित्सकों को भेजी जाएगी।
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