2.30 बजे तक 20 परिवार हुए शिफ्ट
सिरोल पहाडी से हटाकर उन्हे महलगांव स्थित नगर निगम के आवास में शिफ्ट करने की कार्रवाई की गई। इसके लिए तहसीलदार आरएन खरे व दो आरआई व पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई। इस पूरी कार्रवाई के दौरान दोपहर 12 बजे तक 10 परिवारों को प्रशासन ने यहां शिफ्ट कराया। महलगांव में नगर निगम के करीब 200 आवास है। इनमे से सिर्फ आधा सैकड़ा ही बुक हुए है। लिहाज वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर सिरोल से हटाए गए परिवारों को यहां शिफ्ट किया गया।
सामान हटते ही चली जेसीबी
सिरोल पहाड़ी पर बसे लोग जहां एक तरफ अपना सामान बांध रहें थे। वहीं दूसरी ओर उनके सामान को बसों में रखवाकर उन्हे नगर निगम के आवास में शिफ्ट करने की कार्रवाई की गई। इसके बाद पूरी तैयारी के साथ पंहुचे प्रशासन ने खाली हुए अवैध मकानों को तोड़ने की कार्रवाई की गई। नगर निगम की 5 जेसीबी के जरिए यहां बने मकानों को जमीदोंज कर दिया।
वाटर कैनन और पुलिस बल तैनात
प्रशासन को इस बात की शंका थी कि अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई का सिरोल पहाड़ी पर अवैध रूप से रह रहे लोग विरोध कर सकते है। लिहाजा ऐसी स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल के साथ-साथ वाटर कैनन को भी मौके पर मुस्तैद किया गया।
अतिक्रमण हटाने इसलिए की जल्दबाजी
सिरोल पहाड़ी से वन क्षेत्र की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश हाईकोर्ट ने प्रशासन को 28 जून 2019 को दिए थे। इस आदेश का पालन प्रतिवेदन 28 अगस्त 2019 को कलेक्टर द्वारा हाईकोर्ट में सौंपना था, लेकिन राजनीतिक लोगों के विरोध के कारण अतिक्रमण नही हटाया जा सका। लिहाजा शासन द्वारा इस मामले में समय लिया जा रहा था। हाईकोर्ट के आदेशानुसार इस मामले में प्रशासन को पालन प्रतिवेदन की रिपोर्ट कल 20 जनवरी को पेश करनी है। इसी कारण इतने दिन चुप बैठने के बाद प्रशासन द्वारा अतिक्रमण को हटाने के लिए एकाएक कार्रवाई की है।
वैकल्पिक है व्यवस्था
जिन 77 परिवारों को मौके से हटाया गया उन्हे नगर निगम के आवास में शिफ्ट किया गया है। इस कार्रवाई के दौरान मौके पर मौजूद अधिकारियों से लोग बार-बार हाथ जोड़कर यही पूछते नजर आ रहे थे कि जहां ले जाया जा रहा है, वहां से भी तो हमें हटा नही दिया जाएगा? इस पर अधिकारियों ने यह व्यवस्था वैकल्पिक होने की बात कहते हुए सभी से अपने लिए घर तलाशने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा जो प्रधानमंत्री आवास योजना की शर्तों को पूरा करने की पात्रता रखता वह आवेदन कर सकेगा। इस पर अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब तो नही दिया, लेकिन लोगों को आश्वासन दिया कि प्रशासन को उनका ख्याल है। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हे डोंगरपुर में रमऊआ डैम के पास उन्हे पट्टे दिए जाने की बात कही गई है, लेकिन वहां कोई इंतजाम नही है। ऐसे में वहां कैसे रहेंगे। हालांकि, अधिकारियों ने पट्टे दिए जाने को लेकर चल रही प्रकिया में डोंगरपुर का उल्लेख नहीं किया है। अधिकारियों का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था करके सभी से महलगांव स्थित नगर निगम के आवास में जाने के लिए कहा गया है।
एक नजर में कार्रवाई
-सुबह 5 बजे: पुलिस अमला सिरोल पहाड़ी पर पहुंच गया था।
-सुबह 6 बजे: सामान ले जाने के लिए मौके पर चार बड़े ट्रक, 25 मंझोले लोडिंग वाहन और महिला और बच्चों को ले जाने के लिए चार बसें लगाई गई।
-विरोध-पथराव जैसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तीन पुलिस वैन के साथ एक वज्र भी तैनात किया गया।
– दो एम्बुलेंस, तीन नगर निगम के ट्रेक्टर, तीन डंपर, 2 वाटर कैनन मौके पर रही।
-अतिक्रमण हटाने 5 जेसीबी का इस्तेमाल किया गया।
सारे परिवार हटाए गए : जानकारी के मुताबिक सुबह 6 बजे से सिरोल पहाड़ी से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही चली और दोपहर तक सभी परिवारों को महलगांव स्थित सरकारी आवासों में शिफ्ट कर दिया गया है।
परिवार महलगांव स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने आवासों में पहुंच चुके हैं। महलगांव पहाड़ी पर पहुंचने वाले परिवारों की लिस्टिंग का काम तहसीलदार आरएन खरे सहित दो आरआई और पटवारियों की टीम कर रही है। जबकि सिरोल पहाड़ी से परिवारों का सामान भरवाकर रवाना कराने की जिम्मेदारी तहसीलदार शिवानी पांडेय, आरआई केके भोला, शिवदयाल शर्मा, होतम सिंह, एसडीएम के रीडर कुलदीप बघेल सहित 10 पटवारियों की टीम को दी गयी है। एसडीएम अनिल बनवारिया सभी अतिक्रमण तुड़वाने का काम कर रहे हैं। एडीएम किशोर कान्याल सुबह से आने के बाद लोगों की रवानगी शुरू करवाकर चले गए हैं।
न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही यह तय हो गया था कि वन भूमि अब मुक्त हो जाएगी। बता दें कि कलेक्ट्रेट बनने के बाद ही इस पहाड़ी पर भू-माफिया की नजर थी इसके बाद ही यहां अतिक्रमण कराए गए और लोगों ने मकान तानना शुरू कर दिए। इस कारण इस पहाड़ी के सैकडों पेडों को काट दिया गया।