विशेषज्ञों का कहना है कि कर्मचारी नौकरी छोड़ते हैं या अगर उन्हें किसी वजह से नौकरी से निकाला भी जाता है तो भी पीएफ को तुरंत निकालना समझदारी नहीं है, जब तक कि आपको इसकी सख्त जरूरत न हो। दरअसल, नौकरी छोडऩे के बाद भी पीएफ पर ब्याज मिलता रहता है और नया रोजगार मिलने के साथ ही उसे नई कंपनी में स्थानांतरित कराया जा सकता है। अगर एक नौकरी छोडऩे के कुछ महीनों बाद दूसरी नौकरी करने लगते हैं और पुरानी कंपनी की पूरी पीएफ राशि को नई में स्थानांतरित करा लेते हैं तो इसे सेवा की निरंतरता माना जाएगा। ऐसे में पेंशन योजना में रुकावट नहीं आएगी। सेवा में निरंतरता के प्रावधान के तहत सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अंशदान बराबर देना जरूरी है।
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रिटायरमेंट के बाद भी 3 साल तक मिलता है ब्याज : अगर आप रिटायरमेंट के बाद भी पीएफ का पैसा नहीं निकालते हैं तो तीन साल तक ब्याज मिलता रहता है। तीन साल के बाद ही इसे निष्क्रिय खाता माना जाता है।
पैसा निकालना ही है तो केवाईसी ( KYC) जरूरी
आपको किसी जरूरत के कारण पैसा निकालना ही है, तो केवाईसी का होना बेहद जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति दो माह तक बेरोजगार रहता है तो पीएफ का पूरा पैसा निकाल सकता है, जबकि नौकरी छोडऩे के एक माह के बाद 75 फीसदी पैसा निकाला जा सकता है। अगर सेवाकाल दस साल से कम का है तो पेंशन का भी पूरा पैसा निकाला जा सकता है। सामान्यतया पीएफ का पूरा पैसा 58 साल की उम्र होने के बाद सेवानिवृत्ति पर ही निकाला जा सकता है।