scriptकोरोना भी नहीं तोड़ पाया यारों की दोस्ती, मौत भी हारी | Even Corona could not break the friendship of friends, lost even death | Patrika News

कोरोना भी नहीं तोड़ पाया यारों की दोस्ती, मौत भी हारी

locationग्वालियरPublished: Aug 01, 2021 10:55:46 am

Submitted by:

Mahesh Gupta

फ्रेंडशिप डे आज: पैसे से नहीं दोस्तों के सपोर्ट से जीती मौत से जंग

कोरोना भी नहीं तोड़ पाया यारों की दोस्ती, मौत भी हारी

कोरोना भी नहीं तोड़ पाया यारों की दोस्ती, मौत भी हारी

 

ग्वालियर.

कोरोना की दूसरी लहर ने हर तीसरे परिवार को अपनी चपेट में लिया। रोज ही भयावह तस्वीरें सामने आ रही थीं। ऐसे में लोगों के बीच खौफ था। संक्रमण के डर से लोग अपनों के पास मदद के लिए भी नहीं जा रहे थे। ऐसे समय में काम आए दोस्त। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना हर तरह से सपोर्ट किया। संक्रमित दोस्त और उनके परिवार की मदद करते हुए अपने परिवार से दूर रहे। उनके अंदर भी खौफ था, लेकिन जिद भी अपने दोस्त और उनके परिवार को बचाने की थी। आज फ्रेंडशिप डे है। हम आपको ऐसे संक्रमितों से मिलाने जा रहे हैं, जो खुद बताएंगे अपने यारों की यारी…।

मुझे बचाने दोस्तों ने दिया प्लाज्मा और ब्लड
मुझे कोरोना के साथ ही पेट में इन्फेक्शन भी हो गया था। मैं 21 दिन तक हॉस्पिटल में एडमिट रहा। उस समय मुझे प्लाज्मा और ब्लड की जरूरत थी। मैं हॉस्पिटल में था और वाइफ मेरा ध्यान रख रही थी। उस समय दोस्त जीतेन्द्र जाजू ने प्लाज्मा दिया और दोस्त रणविजय व जीतेन्द्र शर्मा ने ब्लड दिया। इससे आगे का इलाज शुरू हो सका। इसके अलावा भी वे हर परेशानी में मेरी पत्नी के साथ खड़े रहे।
हिमांशु बेदी, समाजसेवी

जान की परवाह किए बिना तन मन से साथ रहे
कोरोना की दूसरी लहर में मेरी पूरी फैमिली इन्फेक्टेड हो गई। पापा को हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा। उस समय उन्हें रेमडिसिविर इंजेक्शन लग रहे थे। कोरोना के कारण मैं भी बहुत वीक था। इस पर मेरे दोस्त तपेश मिश्रा, हरीश अरोरा, गजेंद्र अरोरा ने बहुत मदद की। वे तन मन से मेरे साथ रहे। कुछ दिन तक मैं होम क्वारेंटीन था। उस समय उन्होंने दवा से लेकर हर चीज उन्होंने ही संभाली।
नरेन्द्र रोहिरा, बिजनेसमैन

दिल्ली में दोस्त ने दिलाया बेड, मां की पूरी केयर की
मैं और वाइफ हॉस्पिटल में एडमिट थे। उसी समय मां भी पॉजिटिव हो गईं। उन्हें डॉक्टर ने दिल्ली रेफर किया। वहां बेड अवेलेबल नहीं थे। तब फिल्म प्रोड्यूसर कुनाल खंडेलवाल ने पूरी मदद की। कोरोना के डर से दूर हॉस्पिटल में एडमिट कराया। इधर मेरी जरूरतों का ध्यान दोस्त इमरान और सुनील केसवानी ने रखा। जहां भी जरूरत हुई। फोन किया और अगले 15 मिनट में जरूरत पूरी हो जाती थी।
कपिल साहनी, बिजनेसमैन

घर पर खाना, दवा और अन्य जरूरतों का रखा ध्यान
मई का फस्र्ट वीक हमारे परिवार पर कहर बनकर आया। फैमिली के 7 सदस्य संक्रमित थे। मुझे और पापा को हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा। उस समय परिवार के सदस्यों के अलावा राजेश गुप्ता, साकेत गुप्ता, रोहित अग्रवाल, संदीप जैन साथ खड़े रहे। उन्होंने मोरल सपोर्ट के साथ ही अन्य तरह से भी मदद की। घर पर खाना, दवा के साथ ही अन्य जरूरतों का ध्यान रखा। हालांकि पापा मेरे नहीं बच पाए।
संदीप अग्रवाल, बिजनेसमैन

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