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जब से चला हूं मंजिल पर नजर है, मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा…

locationग्वालियरPublished: Oct 23, 2020 11:31:04 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

80 साल के डॉ. निर्भय की एशियन और ओलम्पिक गेम्स पर नजर

जब से चला हूं मंजिल पर नजर है, मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा...

जब से चला हूं मंजिल पर नजर है, मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा…

ग्वालियर.
रोजाना करते हैं 4 घंटे हैमर एंड डिसकस की प्रैक्टिस, केवल 5 घंटे की लेते हैं नींद

जब से चला हूं मंजिल पर नजर है, मैंने कभी मील का पत्थर नहीं देखा…। यह कहावत ग्वालियर के डॉ. डीएस निर्भय के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती है। उनकी उम्र भले ही 80 साल हो, लेकिन उनमें जोश आज भी जवां है। उनके हौसले युवा पीढ़ी को मात देते हैं। उनमें जुनून इस कदर है कि वह एशियन और फिर ओलम्पिक गेम्स में पार्टिसिपेट कर ग्वालियर को पहचान दिलाना चाहते हैं। उनके इस हौसले को उड़ान दे रहीं हैं पत्नी केके निर्भय। डॉ. निर्भय जब कभी भी उदास होते हैं, तो उन्हें मोटिवेट केके निर्भय करती हैं। वह खुद भी सुबह उठकर एक्सरसाइज करती हैं।

पान सिंह, दलजीत, मक्खन और अमृत पाल के साथ कर चुके प्रैक्टिस

डॉ. निर्भय कॉलेज टाइम पर रनिंग और वॉक करते थे। उन्होंने मिल्खा सिंह के कैंप में पान सिंह तोमर, दलजीत सिंह, मक्खन सिंह, अमृतपाल के साथ प्रैक्टिस की है। कोच के ओवर ट्रेनिंग के कारण 1960 में उनकी एडिय़ा खराब हो गईं, तब उन्होंने हैमर थ्रो की प्रैक्टिस शुरू की और कई अवॉर्ड अपने नाम किए।


एडिय़ा खराब होने पर नहीं टूटे हौसले, हैमर में जीत लाए मेडल

डॉ. निर्भय को एथलीट को शौक था। उनके कोच ने 1960 में इतनी अधिक ट्रेनिंग कराई कि एडिय़ा खराब हो गईं। डॉक्टर ने आराम के लिए और कभी दौड़ न लगाने के लिए बोला। लेकिन निर्भय कहां रुकने वाले थे। उनके अंदर जुनून था कुछ अलग करने का। इसलिए उन्होंने रेसलिंग छोड़ हैमर एंड डिसकस में हाथ आजमाया और कई मेडल अपने नाम किए। यह देख उनके साथ के लोग हैरान रह गए और अपना आइडल बना लिया। लेकिन निर्भय ने इसे अपना आखिरी पड़ाव नहीं समझा। वह प्रैक्टिस करते रहे। उनका कहना है कि लोग जिसे मंजिल समझकर रुक गए मैं उन्हें रास्ता समझकर निकल गया…।

नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप-2020 में गोल्ड मेडल

उम्र के इस पड़ाव में आज भी वह 6 से 7 घंटे हैवी एक्सरसाइज करते हैं। रात में केवल पांच घंटे की नींद लेते हैं। सुबह 4.30 बजे उठकर अपना रुटीन शुरू कर देते हैं। फौज में ट्रेनिंग दे चुके और एलएनआइपीई से सेवानिवृत्त एथलेटिक्स कोच डॉ. डीएस निर्भय ने इसी वर्ष इंडिया मास्टर्स एथलेटिक्स के 40वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप-2020 में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। वह वॉकिंग में भी नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं।

आज भी 4 घंटे हैमर थ्रो की प्रैक्टिस

डॉ. निर्भय ने कहा कि मेरा लक्ष्य एशियन गेम व ओलम्पिक में शामिल होना है। मैं अपने लक्ष्य पर कायम हूं, जिसके तहत कोरोना वायरस के पहले तक प्रतिदिन 3 से 4 घंटे जीवाजी विश्वविद्यालय के ग्राउंड पर ‘हैमर थ्रोÓ की प्रैक्टिस करता था। बीच में गैप हुआ। अब प्रैक्टिस फिर से शुरू की है।

डॉ. डीएस निर्भय

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